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मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राफेल विमान सौदे से जुड़ी जानकारियों को लेकर एक हलफनामा दायर किया। अब इस हलफनामें में जो जानकारियां केंद्र सरकार ने कोर्ट को दी है उस पर कांग्रेस पार्टी एक बार फिर मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑफसेट पार्टनर के रूप में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की एक कंपनी का चयन करने के लिए फ्रेंच कंपनी दसॉल्ट एविएशन को मजबूर किया। जिससे अनिल अंबानी की कंपनी को 30,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दायर इस 14 पन्नों के हलफनामें की एक कॉपी याचिकाकर्ता के साथ भी साझा की है।
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के फ्रांस दौरे के बाद डसौल्ट CEO के बदले सुर, बोले- अंबानी को हमने खुद चुना
36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाये गये कदमों का विवरण” के शीर्षक वाले इस हलफनामें में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राफेल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है।
लेकिन अब सरकार द्वारा कोर्ट में दायर इस हलफनामें को लेकर भी कई सवाल उठ रहें हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार द्वारा कोर्ट को दिए हलफनामें की जानकारियों पर ट्वीटर पर लिखा कि,
सुप्रीम कोर्ट में भी मोदी सरकार ने बोला झूठ! कहा- हमने नहीं खुद फ़्रांस ने अंबानी को राफेल पार्टनर चुना
सुप्रीम कोर्ट में मोदीजी ने मानी अपनी चोरी। हलफ़नामे में माना कि उन्होंने बिना वायुसेना से पूछे कांट्रैक्ट बदला और 30,000 करोड़ रूपया अंबानी की जेब में डाला। पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त।
सुप्रीम कोर्ट में मोदीजी ने मानी अपनी चोरी।
हलफ़नामे में माना कि उन्होंने बिना वायुसेना से पूछे कांट्रैक्ट बदला और 30,000 करोड़ रूपया अंबानी की जेब में डाला।
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त…https://t.co/flCgrrlUjw
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 13, 2018
बता दे कि सितंबर 2017 में भारत ने करीब 58,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ समझौते पर दस्तखत किए थे। साथ ही इन विमानों की आपूर्ति सितंबर 2019 में शुरू होने वाली है।
लेकिन इस सौदे के बाद से ही लगातार सौदे में हुए भ्रष्टाचार को लेकर वाल खड़े होते रहे हैं। आरोप लगे कि साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस सौदे में किए हुए बदलावों के लिए ढेरों सरकारी नियमों को ताक पर भी रखा गया और अंनील अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाया गया है।