राफेल ‘डील’ है या ‘घोटाला’ इसका जवाब दिया है दासौ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर जिन्होंने राफेल सौदे पर कहा कि मैं झूठ नहीं बोलता।

उन्होंने कहा कि मैंने पहले जो बयान दिया है वो सच है मेरी झूठ बोलने की छवि नहीं है सीईओ के रूप में मेरी स्थिति में आप झूठ नहीं बोल सकते है। उन्होंने ये बात समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कही।

दरअसल राफेल डील पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और विपक्ष कई दिनों से सवाल उठा रहें है। मोदी सरकार पर विपक्षियों ने आरोप लगाया है कि हर विमान को करीब 1670 करोड़ रुपये खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार ने 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रही थी उसने इसे 526 करोड़ में अंतिम रूप दिया था।

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इन्हीं आरोपों पर आरोपियों में एक आरोपी दासौ एविएशन ने अपना बयान दिया है कि डील में कुछ भी गड़बड़ नहीं है।

सीईओ एरिक ट्रैपियर के क्लीनचिट दिए जाने के बाद कांग्रेस की तरफ से प्रवक्ता रनदीप सिंह सुरजेवाला ने डसॉ पर आरोप लगाते हुए कहा कि इंटरव्यू फिक्सड है, बनावटी झूठ से सच नहीं दब जाता फ़ायदा लेने वाला और आरोपी- जज कैसे हो सकते हैं?

जानें- क्या है विवाद

राफेल एक लड़ाकू विमान है। इस विमान को भारत फ्रांस से खरीद रहा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने विमान महंगी कीमत पर खरीदा है जबकि सरकार का कहना है कि यही सही कीमत है। ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि इस डील में सरकार ने उद्योगपति अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाया है।

बता दें, कि इस डील की शुरुआत यूपीए शासनकाल में हुई थी। कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार में 12 दिसंबर, 2012 को 126 राफेल विमानों को 10।2 अरब अमेरिकी डॉलर (तब के 54 हज़ार करोड़ रुपये) में खरीदने का फैसला लिया गया था। इस डील में एक विमान की कीमत 526 करोड़ थी।

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इनमें से 18 विमान तैयार स्थिति में मिलने थे और 108 को भारत की सरकारी कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), फ्रांस की कंपनी ‘डसौल्ट’ के साथ मिलकर बनाती। अप्रैल 2015, में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी फ़्रांस यात्रा के दौरान इस डील को रद्द कर इसी जहाज़ को खरीदने के लिए में नई डील की।

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