नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर लोकसभा में बहस जारी है। बीजेपी इस बिल की वकालत करते हुए इसे क्रांतिकारी कदम बता रही है, तो विपक्षी दल के नेता इसे संविधान विरोधी बता रहे हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी लोकसभा में इस बिल का विरोध किया।

उन्होंने लोकसभा में इस बिल को देश के बेसिक स्ट्रक्चर के खिलाफ बताते हुए अपील की कि देश को इस कानून से बचा लीजिए। ओवैसी ने कहा कि  सेक्युलरिज़्म इस मुल्क के बेसिक स्ट्रक्चर का हिस्सा है। केशवानंद भारती (केस) में कहा गया, (संविधान के) अनुच्छेद 14 में कहा गया। हम इसलिए इस (बिल) की मुखाल्फत कर रहे हैं, क्योंकि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, यह मनमाना है, शायरा बानो (केस) में, नवतेज जौहर (केस) में इसका ज़िक्र है।

उन्होंने आगे कहा कि हमारे मुल्क में सिटिजनशिप का कॉन्सेप्ट सिंगल है। आप (सत्तापक्ष) यह बिल लाकर सर्बानंद सोनोवाल सुप्रीम कोर्ट केस का उल्लंघन कर रहे हैं।  मैं आपसे हाथ जोड़कर अपील कर रहा हूं कि मुल्क को ऐसे कानून से बचा लीजिए।

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इस दौरान ओवैसी ने ये भी कहा कि अगर ये बिल पास हो जाता है तो गृहमंत्री का नाम हिटलर और दविद बेन-गोयोन की लिस्ट में आ जाएगा। इसलिए इस कानून को पास होने से बचा लीजिए। हालांकि उनके इस बयान पर आपत्ति जताई गई, जिसके बाद उनके बयान को सदन की कार्यवाही के रेकॉर्ड से हटा दिया गया।

बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया है। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (जैसे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को आसानी से भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।

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नागरिक संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव का प्रस्ताव है। इस बिल का विपक्ष भारी विरोध कर रहा है और इसे संविधान के खिलाफ बता रहा है। विपक्ष का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत के सेक्युलर ढ़ांचे को चोट पहुंचेगी। विपक्ष के मुताबिक, इस बिल के ज़रिए मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि सरकार का कहना है कि ये बिल मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं है।

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