10 एजेंसियों को आम लोगों के कम्प्यूटर की जासूसी करने का हक़ देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है। आज 14 दिसम्बर को देश की सबसे बड़ी अदालत ने मोदी सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि, उसने ऐसा क्यों किया इसका जवाब दे। कोर्ट ने मोदी सरकार को जवाब देने के लिए 6 हफ़्तों का वक़्त दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह नोटिस वकील एमएल शर्मा द्वारा दाख़िल एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया।
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शर्मा ने याचिका में कहा है कि सरकार का यह आदेश पूरी तरह से असंवैधानिक, अवैध और जनहित के ख़िलाफ़ है। साथ ही सरकार इसके ज़रिये ऐसे लोगों को दंडित कर सकती है जो सरकार के ख़िलाफ़ विचार व्यक्त करते हैं।
क्या था मामला-
बीते 20 दिसम्बर को मोदी सरकार के गृह मंत्रालय ने नोटिस जारी कर कहा था कि CBI, NIA समेत 10 एजेंसियों को नागरिकों के कम्प्यूटर डेटा को खंगालने की इजाज़त होगी।
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एजेंसियाँ लोगों के कम्पूटर की रिसीव, ट्रांसमिट, जेनरेट और स्टोर किए गए डेटा की जासूसी कर सकती हैं। नोटिफ़िकेशन में कहा गया था कि, यह आदेश आईटी एक्ट की धारा 69 के तहत दिया जा रहा है।
जिन एजेंसियों को दिया गया है अधिकार-
- एनआईए
- सीबीआई
- ईडी
- रॉ
- नारकटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
- सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज
- डायरेक्टोरेट ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलीजेंस
- डायरेक्टोरेट ऑफ़ सिग्नल इंटेलीजेंस
- दिल्ली पुलिस कमिश्नर
- आईबी