दिल्ली पुलिस ने आख़िरकार तीन साल बाद जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में कथित तौर पर लगे देशविरोधी नारों के मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह चार्जशीट लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दाखिल की गई है, जिसको लेकर सवाल उठ रहे हैं।

अब वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी इसपर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “आम चुनाव से तीन महीने पहले कन्हैया कुमार के खिलाफ़ देशद्रोह का आरोप तीन साल बाद तय हो गया है!

चुनाव से पहले मोदी को ख़ुश करने के लिए दिल्ली पुलिस उनके विरोधी ‘कन्हैया कुमार’ को फंसा रही हैः संजय सिंह

एक कानून जो अंग्रेजों द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में डालने के लिए लागू किया गया था, अब भारत सरकार द्वारा असहमति को खत्म करने के लिए एक राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है”!

12 सौ पेज की चार्जशीट में कुल 10 लोगों को मुख्य आरोपी बनाया गया है, जिनमें जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, सैयद उमर ख़ालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य का नाम शामिल है। चार्जशीट में कश्मीर के रहने वाले सात छात्रों आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली, खालिद बशीर भट के नाम भी हैं।

वहीं, इस चार्जशीट में 36 अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है, जिनमें शेहला राहिश का नाम भी शामिल है। हालांकि इन 36 लोगों के खिलाफ़ पुलिस को कोई पुख़्ता सबूत नहीं मिले हैं। चार्जशीट में मामले के गवाहों के बयान सीआरपीसी की ऐसी धारा के तहत दर्ज किए गए हैं कि बयान से पलटने पर उन्हें सज़ा मिल सकती है।

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गवाहों के हवाले से चार्जशीट में बताया गया है कि कन्हैया कुमार ने भी देश विरोधी नारे लगाए थे। पुलिस को कन्हैया का भाषण देते हुए एक वीडियो भी मिला है। इसके साथ ही कहा गया है कि कन्हैया को पूरे कार्यक्रम की पहले से जानकारी थी।

बता दें कि 9 फरवरी 2016 में जेएनयू कैंपस में अफजल गुरु की फांसी के विरोध में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाए गए थे।

इस मामले में दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार, उमर खालिद, और अनिबर्न भट्टाचार्य के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार भी किया था। लेकिन बाद में सभी आरोपियों को दिल्ली हाईकोर्ट से सशर्त ज़मानत मिल गई थी।

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