मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम केस में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़ास सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव के माफीनामे को नामंज़ूर कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें अवमानना का दोषी करार देते हुए उनपर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
दरअसल, नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस के जांच अधिकारी का सीआरपीएफ में तबादला कर दिया था। इसी मामले में मंगलवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की।
बेंच ने कहा कि नागेश्वर राव ने साफ़ तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है। बिना इजाजत जांच अधिकारी का तबादला करना अगर यह अवमानना नहीं है तो क्या है? न्यायालय ने कहा कि उनका रवैया कुछ ऐसा रहा है कि मुझे जो करना था, वह मैंने किया है।
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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राव और अभियोजन निदेशक धांसू राम से कहा कि अदालत के एक कोने में चले जाएं और कार्यवाही खत्म होने तक वहां बैठे रहें। कोर्ट ने राव, सीबीआई के अभियोजन निदेशक को अदालत की आज की कार्यवाही खत्म होने तक हिरासत में रहने की सज़ा सुनाते हुए उन पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
इससे पहले सोमवार को राव अदालत के सामने पेश हुए थे और उन्होंने शेल्टर होम केस के जांच अधिकारी का तबादला करने के मामले में अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी। अपने हलफनामे में उन्होंने कहा था कि उन्हें अपनी गलती का अहसास है।
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बता दें कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में जांच की यथास्थिति को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए नागेश्वर राव ने जांच में शामिल सीबीआई अधिकारी एके शर्मा का ट्रांसफर कर दिया था। जिसके बाद कोर्ट ने राव को अवमानना का नोटिस भेजा था।