‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ के नारे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार पर लगातार घोटाले और अपने करीबियों को फायदा पहुँचाने के आरोप लग रहे हैं।

प्रधानमंत्री की शपथ लेने के बाद ही नरेंद्र मोदी का नाम कई उद्योगपतियों के साथ जुड़ा और इन उद्योगपतियों को फायदा पहुँचाने के आरोप लगे। इस लिस्ट में सबसे चर्चित नामों में से एक है गौतम अडानी।

‘द कैरावान’ पत्रिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने देश के एक चर्चित घोटाले में गौतम अडानी के खिलाफ जांच नहीं की और इसमें गौतम अडानी की कंपनी पर 5500 करोड़ रूपये के घोटाले का आरोप है।

ये घोटाला कोई और नहीं बल्कि कोलगेट यानि कि वो कोयला घोटाला है जिसके खिलाफ भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए सड़क से संसद तक हंगामा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वो इस तरह के घोटालों में अपने करीबियों को बचा रही है।

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इस कोयला घोटाले में सीबीआई ने 4 जनवरी 2018, महाराष्ट्र क्षेत्र में हुए कोयला खदानों के दुरुपयोग पर एफआईआर दर्ज की। ये मामला एजेंसी ने कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (केपीसीएल) और इसकी प्राइवेट पार्टनर कंपनी ईएमटीए के खिलाफ दर्ज किया था।

इन दोनों कंपनियों की एक जॉइंट वेंचर कंपनी केईसीएमएल ने महाराष्ट्र की कोयला खदानों में राष्ट्रीय खनिज का दुरोपयोग किया था। लेकिन राजस्थान में राष्ट्रीय खनिज के दुरोपयोग पर इस पूरे मामले में सीबीआई ने गौतम अडानी की कंपनी अडानी एंटरप्राइज लिमिटेडट (एईएल) को बख्श दिया।

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राजस्थान राज्य विद्युत् उत्पादन निगम और एईएल पर भी हज़ारों करोड़ की राष्ट्रीय खनिज को दुरुपयोग करने का आरोप है। अप्रैल 2018 में ही सुदीप श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में सबूतों के आधार पर ये दावा किया था कि अडानी की कंपनी ने 5,500 करोड़ रूपये की राष्ट्रीय खनिज का दुरुपयोग किया है।

लेकिन सीबीआई उन खदानों के मामलों में अन्य कंपनियों की जांच तो कर रही है लेकिन उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी को बख्शा जा रहा है।

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