जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने आज 11 नवंबर को आयोजित हो रहे JNU के दीक्षांत समारोह के दौरान जमकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ ने जमकर लाठियां बरसाई और आंसू गैस छोड़े, जिसमें कई छात्र घायल हो चुके हैं।

मुख्य अतिथि के रूप में आए हुए वेंकैया नायडू को ये संदेश देने की कोशिश करते रहे कि मोदी सरकार में महंगी की जा रही शिक्षा जेएनयू छात्रों को मंजूर नहीं है। जेएनयू में 40% छात्र बेहद गरीब परिवारों से आते हैं वो इतनी महंगी फीस कहां से भर पाएंगे।

दरअसल कुछ दिन पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासन ने फीस बढ़ोतरी समेत तमाम ऐसे फैसले लिए जिससे छात्र विरोधी कहा जा सकता है। हॉस्टल की फीस बढ़ोतरी का मामला हो या ड्रेस कोड का या फिर हॉस्टल में आने जाने का वक्त निर्धारित करने का; छात्र-छात्राएं हर चीज से नाराज हैं।

इधर पूरा देश पहले शिक्षामंत्री की जयंती मना रहा है, उधर मोदी सरकार JNU छात्रों पर लाठियां चलवा रही है

प्रशासन से उनकी नाराजगी का आलम यह है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार यूनिवर्सिटी स्ट्राइक की जा रही है। हड़ताल में शामिल हजारों हजार छात्र इस बात के गवाह हैं कि प्रशासनिक दमन के खिलाफ उनकी एकजुटता है।

छात्रों पर इस बर्बरतापूर्ण हमले पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा-

JNU में अप्रत्याशित फ़ीस बढ़ोतरी व बंदिशों के ख़िलाफ़ छात्रों की शांतिपूर्ण माँगों पर शक्ति का प्रयोग निंदनीय है. फीस को एक साथ लगभग तीन गुना कर देना छात्रों के भविष्य के साथ नाइंसाफ़ी है. जिनके बच्चे हैं वो जानते हैं कि आज के तंग हालातों में पढ़ाई का खर्चा उठाना कितना कठिन है.

प्रदर्शन कर रहें छात्रों का कहना है कि ‘हॉस्टल फ़ीस के रूप हमें पहले एक साल में 6 हज़ार देना पड़ता था, अब वह 60 हज़ार कर दिया गया है।’ उनका कहना है कहाँ से हम इतनी मोटी रकम लाएंगे और यहां पढ़ेंगे। हम छात्र समाज के निचले तबके से आते हैं। पहले घर से पहले पैसा नहीं लेना पड़ता था। क्यूंकि हमें सालना 5000 हज़ार रूपये का फ़ेलोशिप मिलता था। जिसे अब इस सरकार ने बंद कर दिया’।

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