पिछड़ों के कंधे पर सवार होकर बहुमत की सत्ता का स्वाद चखने वाली भाजपा के लिए अब पिछड़ों की गोलबंदी ही मुसीबत बनती जा रही है, वैसे तो भाजपा के लिए ये चुनौती देशभर में बढ़ रही है मगर उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा घेराव हो रहा है, शायद इसलिए भी कि यहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

जब सत्तारूढ़ भाजपा ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ कर रही है, बहुजन समाज पार्टी ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ कर रही है तब समाजवादी पार्टी का मंडल-राग अलापना एक बड़े राजनैतिक परिवर्तन की घोषणा कर रही है।

जिस तेवर के साथ अखिलेश यादव ने बीते मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में ‘पिछड़ें पावें सौ में साठ’ के नारे का जिक्र किया, साथ ही जातिवार जनगणना की मांग रखी, इससे आगामी चुनाव की तस्वीर कुछ हद तक साफ हो गई है। माना जा रहा है 2022 के चुनाव में पिछड़ों की भूमिका बड़ी होने वाली है।

उत्तर प्रदेश के पिछड़ों को भाजपा के ख़िलाफ़ एकजुट करने के लिए अखिलेश यादव के सहयोगी ‘महान दल’ ने पीलीभीत से शुरुआत की है तो जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट)ने बलिया से बिगुल फूंका है।

साथ ही खुद समाजवादी पार्टी में पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजपाल कश्यप भी अलग-अलग विधानसभाओं में सभाएं करके पिछड़ों को एकजुट करने में लगे हैं।

‘महान दल ने ठाना है सपा सरकार बनाना है’ नारे के साथ महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्या ने पीलीभीत से जनक्रांति यात्रा की शुरुआत की। जिसमें सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल शामिल हुए थे।

ये यात्रा बदलाव के दावे के साथ आगे बढ़ रही है। पीलीभीत से निकली ये यात्रा कई जिलों को पार करते हुए इटावा में संपन्न होगी।

जब केशव देव मौर्य से पूछा गया कि आपको क्यों लगता है भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पिछड़ों की उपेक्षा हो रही है ??

तो केशव देव कहते हैं “पूरी तरीके से पिछड़ों की उपेक्षा हो रही है। 69000 शिक्षक भर्ती में एक भी पिछड़े की भर्ती नहीं हुई। उसके अलावा ऐसी 39 जातियां हैं जिन्हें अगड़ी जातियों से पिछड़ों में भर्ती कराया जा रहा है। और उसके साथ साथ कैप नहीं बढ़ाया जा रहा, जनगणना नहीं कराई जा रही है।

पिछड़ों की आबादी वैसे ही 60% है लेकिन बावजूद इसके हमारा आरक्षण कम है,और कुर्सी पर उन्हें बिठाया जा रहा है।

बीजेपी ने हमेशा मौर्य समाज के लोगों को नीच महसूस कराया, और उसकी नज़र में हमेशा से ही कुशवाहा, सैनी समाज , मौर्य समाज के लोग नीच है लेकिन महान दल अपने समाज के हक और अधिकार के लिए लड़ रहा है और समाज को उसका हक और अधिकार दिला के रहेगा।”

इसके अलावा बलिया से सपा सहयोगी जनवादी पार्टी ( सोशलिस्ट) के संजय चौहान ‘भाजपा हटाओ प्रदेश बचाओ’ नारे के साथ जनवादी जनक्रांति रैली निकाल रहे हैं।

जब बोलता उत्तर प्रदेश के संवाददाता ने जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) के अध्यक्ष संजय चौहान से यात्रा के बारे में पूछा कि इस यात्रा का मकसद क्या है? क्या जनता का समर्थन आपको मिल रहा है ?

इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा-बाबा साहब का संविधान खतरे में हैं, भारतीय जनता पार्टी की सरकार दलित,पिछड़ों का आरक्षण समाप्त करना चाहती हैं, हिन्दू,मुस्लिम, मन्दिर, मस्जिद,पाकिस्तान का नाम लेकर हमारे लोगों को बुनियादी मुद्दे से भटकना चाहती हैं,

यह जनवादी जनक्रांति यात्रा बाबा साहेब का संविधान और दलित पिछडो का आरक्षण भी बचायेगी, 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास पुरुष अखिलेश यादव जी को मुख्यमंत्री बना कर उत्तर प्रदेश का विकास भी कराएंगे।

अपने लोगों को सम्मान और सरकार में भागीदारी भी दिलाएंगे। इस यात्रा को जनता का आपार समर्थन मिल रहा हैं, हमारे लोगों में उत्साह बढ़ा हैं। ”

इस बार की जनगणना में जातिगत जनगणना की मांग भी मुद्दा बना हुआ है। लोकसभा में अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को उठाकर भाजपा में बैचेनी बढ़ा दी है।

बेरोजगारी, बढ़ती मंहगाई, फर्जी एनकाउंटर, व महिला सुरक्षा पर घिरी भाजपा सरकार के सामने बहुत चुनौतियां हैं।

हालांकि चुनाव से ठीक पहले पिछड़ों और दलितों को केंद्र में मंत्री बनाकर भाजपा इसे मास्टर स्ट्रोक बताते नहीं थक रही है
लेकिन जनता की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस बड़ी चुनौती से निपटने के लिए अब भाजपा को तमाम नए दांवपेंच अपनाने पड़ेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here