पिछले कुछ दिनों से यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री डाॅ सतीश द्विवेदी के सगे भाई अरुण द्विवेदी ने गलत तरीक से ईडब्लूएस सर्टिफिकेट हासिल किया और इसके आधार पर उन्हें सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी कपिलवस्तु के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नौकरी दे दी गई।

इसके बाद विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाया तो मंत्री के भाई को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से इस्तीफा देना पड़ गया।

मंत्री के भाई पर आरोप लगाया कि एक तरफ तो उनके भाई राज्य सरकार में मंत्री हैं। दूसरी ओर उनकी पत्नी भी नौकरी करती हैं जिनकी सैलरी 70 हजार रुपये मासिक है। ऐसे में उनका ईडब्लूएस का सर्टिफिकेट गलत है।

विपक्ष ने इस मुद्दे को मजबूत तरीके से उठाया जिसके बाद दबाव में आकर मंत्री के भाई को असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी छोड़नी पड़ गई।

शायर और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि यूपी में भ्रष्टाचार की सजा के मानक अलग अलग हैं।

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान के बेटे अब्दुल्ला के केस का उदाहरण देते हुए इमरान ने कहा कि “अब्दुल्ला ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लगाया तो उनकी विधायकी रद्द हो गई और वो एक साल से जले में हैं.

वही भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री अरुण द्विवेदी ने फर्जी आय प्रमाण पत्र लगाया और प्रोफेसर की नौकरी हासिल कर ली. उनके इस्तीफे से काम चल गया”

इमरान ने एक ही तरह के मामलों में दो तरह की कार्रवाई को लेकर सरकार और सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया है।

आजम खान के बेटे का जन्म प्रमाण पत्र गलत था तो उसकी विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई और जेल भेज दिया गया। अब्दुल्ला पिछले एक साल से जेल में हैं।

वहीं योगी आदित्यनाथ सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई ने आय प्रमाण पत्र गलत लगाया। भाई ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और वो पाक साफ हो गया।

साफ तौर पर इमरान कहना चाहते हैं कि जब आजम खान के बेटे की तरह मंत्री के भाई को गलत प्रमाण पत्र के लिए जेल में क्यों नहीं भेजा जा रहा है!

एक ही मामले में सरकार दो तरह की कार्रवाई क्यों कर रही है! अगर अब्दुल्ला जेल में हैं तो द्विवेदी को भी जेल में होना चाहिए।

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