वैसे तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब मीडिया के सामने होते हैं तो खुद को हरिश्चंद्र से कम नहीं बताते| अपनी तारीफों और सच्चाई के इतने बड़े बड़े दावे करते हैं कि झूठ भी मुंह मोड़ ले फिर चाहे उत्तर प्रदेश की खस्तेहाल कानून व्यवस्था हो या फिर प्रचंड रूप धारण कर चुका उत्तर प्रदेश का भ्रष्टाचार|

पर वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार है कि पुरानी सरकारों पर आरोप लगाते नहीं थकती फिर चाहे भले खुद की ही कॉलर वर्षों से गन्दी पड़ी हो|

आइये अब आपको बताते हैं वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार की काली सच्चाई, जी हाँ काली सच्चाई जो मीडिया की आड़ में भ्रष्टाचार का ऐसा खेल खेल रही है कि पिछले कई दशकों में पीछे मुड़ कर देखो तो ऐसा भ्रष्टाचार नजर ना आये।

दरअसल मामला है देश की जानी मानी संस्था CAG की एक रिपोर्ट का जिसमें CAG ने हाल ही में कुम्भ मेले में हुए भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख दी है।

CAG ने बताया कि कुंभ मेले के लिए 2425 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जिसमें केंद्र सरकार ने 1281 करोड़ और शेष धनराशि राज्य सरकार ने खर्च की थी।

अब जरा विस्तार से बताते हैं कि कुम्भ मेले से जुड़े कुल 16 अलग-अलग विभागों ने कहाँ-कहाँ और कितना-कितना पैसा दबा लिया।

और योगी सरकार उन्हीं नौकरशाहों को इतिहास के सबसे ईमानदार अफसर बताने का दावा करती है।

जबकि इनमें से काफी तो ऐसे ही हैं जो पिछली सरकारों में भी थे और तब वह बेईमान हुआ करते थे अब जबसे योगी सरकार आई तबसे सब बीजेपी नमक गंगा में नहा कर पवित्र हो गए|

CAG रिपोर्ट के मुताबिक, मेला क्षेत्र में जमीन को समतल कराने के लिए जिन 32 ट्रेक्टरों का विवरण दिया गया था उनमें चार ट्रैक्टरों के रजिस्ट्रेशन नंबर की जगह एक मोपेड, दो बाइक और एक कार के नंबर दर्ज थे।

यह काम अक्टूबर-नवंबर 2018 में तीन ठेकेदारों मेसर्स नारायण एसोसिएट्स, स्वास्तिक कंस्ट्रक्शन और मां भवानी कंस्ट्रक्शन से कराया गया था।

बेरीकेडिंग के कार्य में 27 नवंबर 2018 को 160 और 180 रुपये प्रति रनिंग फीट की दर से एक प्राइवेट फर्म के साथ अनुबंध किया था।

और जांच में पाया गया कि मेलाधिकारी ने नियम के विरुद्ध टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू करने से पहले बेरीकेडिंग कार्य के लिए आकलन ही नहीं किया था।

और तो और रुपयों की जिन दरों का करार किया गया वे भी तर्कसंगत नहीं थीं, क्योंकि लोक निर्माण विभाग ने मेला क्षेत्र में उसी बेरीकेडिंग को 46 रुपये प्रति रनिंग फीट की दर से एक अन्य ठेकेदार के साथ 15 नवंबर 2018 को अनुबंध किया था। इसी कारण बेरीकेडिंग कार्यों में 3.24 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च हुए हैं।

‘सबका साथ सबका विकास’ का दावा करने वाली बीजेपी सरकार ने कुंभ मेले के सफाई कर्मचारियों को उनके भविष्य निधि का भी हक़ मार लिया।

CAG की आडिट रिपोर्ट के मुताबिक, कुंभ में 9483 कर्मचारी स्वच्छता के काम में लगे थे और उन्हें मजदूरी के रूप में 24.91 करोड़ रुपये का भुगतान तो किया गया, लेकिन कर्मचारी भविष्य निधि योगदान नहीं दिया गया।

ये उसी बीजेपी सरकार में हुआ है जो खुद को किसानों और मजदूरों का हितैषी बताती है| उन्हें अनाज, हल, रोजगार और भविष्य के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं के जरिये निधि देने के खोकले वायदें करती है।

और अब आपको बताते हैं प्रयागराज के नगर निगम की करतूत जिसके अफसर मानों चुल्लू बनाकर ही बैठे रहते हैं कि कब भ्रष्टाचार नामक तरल आये और वह उसे निगल जायें।

नगर निगम नें कुंभ मेला क्षेत्र से कूड़ा उठाने व पूरे आयोजन को स्वच्छ रखने के लिए 13.27 करोड़ रुपये में 40 कंपैक्टर खरीदे थे। एक कम्पैक्टर की कीमत तकरीबन 33 लाख रुपये होती है और इसके अलावा भी नगर निगम ने और 15 कंपैक्टर काम पर लगाए थे। तो कुल हो गए 55 कंपैक्टर।

76 दिनों तक चले इस कुंभ मेले में 55 में से 22 कंपैक्टरों ने मात्र एक से 10 ट्रिप लगाए, वहीं अन्य 22 कंपैक्टरों ने 11 से 30 ट्रिप लगाए, जबकि बाकी 11 कंपैक्टरों ने 31 से 56 ट्रिप लगाई थी।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कंपैक्टर ऐसा ट्रैक्टर होता है, जिसमें कूड़ा ढ़ोने के लिए पीछे प्रेसर युक्त ट्राली लगी होती है| जिसे उठाया और झुकाया जा सकता है|

तो यहाँ से आप खुद देख लीजिये जिस कंपैक्टर को 33 लाख में ख़रीदा गया उसने बस एक दिन ही काम किया|

जितना काम इन 55 कंपैक्टरों ने किया वह काम 10 कंपैक्टरो लायक ही था| बाकी के 45 कंपैक्टर योगी सरकार के अफसर अपनि शानों शौकत के लिए ले आये थे शायद।

जानकारी के लिए बता दें कि इन कंपैक्टरों से 9,746 मीट्रिक टन नगरीय ठोस कूड़ा ढोया गया था। कमाल है योगी जी एक दिन के काम का 33 लाख रूपया इतना तो अमेरिका और जापान में भी मंहगाई नहीं जितना कि अफसरों के कागजों में प्रयागराज में कुम्भ के दौरान देखने को मिली।

जबकि कुम्भ मेले के दौरान गंगा, यमुना पर 20 पुल बने थे और इन्हें बनाने का ठेका जिन दो ठेकेदारों को दिया गया था उन दोनों ठेकेदारों की बिड (61.44 लाख रुपये) क्षमता सीमा से भी कम थी, लेकिन फिर भी उनके साथ अनुबंध किए गए।

कुंभ में अलग-अलग तरीके के 89,494 अस्थायी शौचालय और 17,910 मूत्रालय खरीदे गए थे और यह फाइबर प्रबलित प्लास्टिक शौचालय हैं जिन्हें 42 हजार रुपये की लागत से खरीदा गया था।

रिपोर्ट में पाया गया कि अधिकारियों ने अपने चहेते ठेकेदारों को अनुचित लाभ दिलवाकर उन्हें 1.27 करोड़ का अतिरिक्त लाभ पहुंचाया है।

साथ ही केंद्र सरकार के निर्देशों का उल्लंघन कर राज्य आपदा राहत कोष से पुलिस को कुंभ मेला में उपकरण मुहैया कराने में 65.87 करोड़ रुपये खर्च कर दिए।

जबकि राज्य आपदा राहत कोष का उपयोग केवल चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सुनामी, भूस्खलन आदि से पीड़ित लोगों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए होता है।

वहीं लोक निर्माण विभाग ने वित्तीय स्वीकृति के बिना सड़कों की मरम्मत, सड़क किनारे के पेड़ों पर चित्रकारी से संबंधित कार्य करा दिए। जहाँ प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को प्रचार-प्रसार के लिए 14.67 करोड़ रुपयों का आवंटन किया गया था, उसी जगह पर उन्होंने विज्ञापनों पर 29.33 करोड़ रुपये की धनराशि का कार्य बाँट दिया।

CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कुम्भ मेले के दौरान कराये गए ज्यादातर कार्य या तो ऐसे थे जो सिर्फ कागज पर ही थे, या फिर पहले से हो चुके थे।

ऐसे में सवाल साफ़ है कि योगी सरकार इस रिपोर्ट पर क्या प्रतिक्रिया देगी? सरकार का इसपर बयान आएगा भी या नहीं? क्या इसको लेकर योगी के भ्रष्ट अफसरों पर कोई कार्यवाही होगी? यह करोड़ों रूपया जो कुम्भ मेले में पानी की तरह बहाया गया वह आम जनता का पैसा है या योगी सरकार की धरोहर है जो अफसरों पर मन मानी लुटाये जा रहे हैं।

खैर ऐसी रिपोर्ट और ऐसे खुलासे आते रहते हैं पर सरकार इनपर ध्यान नहीं देती क्यूंकि नाम बदलने का प्रकरण चल रहा है तो क्या पता लाभ को हानि, घोटाले को मुनाफे का नाम दे दें हमारे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट (योगी आदित्यनाथ)|

आपकी जानकरी के लिए बता दें की CAG ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि उनके द्वारा दी गयी रिपोर्ट मात्र 25 प्रतिशत है मतलब कि 75 प्रतिशत घोटाले की जानकारी तो CAG के पास भी नहीं है।

CAG ने बताया कि सरकार ने उन्हें कुम्भ से जुड़े तथ्य ही नहीं उपलब्ध कराये। अब जरा दिमाग पर जोर डालिए या न भी डालिए फिर भी साफ़ साफ़ दिखता है कि जिस घोटाले के 25 प्रतिशत सच बाहर आने से करोड़ों की धांधली का मामला सामने आया है।

यदि उसकी पूरी जानकारी सामने आ जाये तो यह उत्तर प्रदेश सरकार के नाम बड़ा काम होगा वो भी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े घोटाले का काम।

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