उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के जीआईसी ग्राउंड पर कल रविवार को किसान महापंचायत का आयोजन हुआ। इस महापंचायत के दौरान हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक सद्भाव के प्रयासों की बसपा सुप्रीमो मायावती ने सराहना की है।

उन्होने कहा कि इससे निश्चय ही भीषण दंगों के गहरे जख्मों को भरने में थोड़ी मदद मिलेगी किन्तु यह बहुतों को असहज भी करेगी।

बसपा नेता ने कहा, “किसान देश की शान हैं तथा हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा के लिए मंच से साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए लगाए गए नारों से भाजपा की नफरत से बोई हुई उनकी राजनीतिक जमीन खिसकती हुई दिखने लगी है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले नौ महीने से आंदोलन कर रहे किसानो ने रविवार को मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत का आयोजन किया था।

जिसमें 27 सितंबर को “भारत बंद” का ऐलान किया गया है। इस महापंचायत का अयोजन मुज्जफनगर के जीआईसी ग्राउंड पर हुआ जोकि पूरी तरह भर चुका था।

हजारों किसान सड़कों पर घूम रहे थे। मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बार्डर पर किसान लगभग 9 माह से आंदोलन कर रहे हैं।

हालाँकि सरकार और किसानों के बीच बात चीत का अबतक के कोई राश्ता नहीं निकल पाया। सरकार है कि किसानों की मांगों के आगे घुटने टेकने को राजी नहीं है और किसान भी 9 महीने से डेरा जमकर बैठे हुए हैं।

सर्दी, बरसात और गर्मी झेलते हुए किसानों ने साफ़ कर दिया है कि जबतक सरकार यह तीनों बिल वापिस नहीं लेगी तबतक यह आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा।

इस महापंचायत में देश भर के किसानों ने हिस्सा लिया और नए कृषि कानून के ख़िलाफ़ अपनी नाराजगी व्यक्त की।

आपको बता दें कि राहुल गाँधी ने भी ट्वीट करके किसान महापंचायत के पक्ष में लिखा है कि “डटा है, निडर है, इधर है, भारत भाग्य विधाता!”

अखिलेश यादव ने भी ट्वीट के जरिये किसान महापंचायत को अपना समर्थन व्यक्त किया है, सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा ” किसानों का आक्रोश देखकर डबल इंजन के सारे ड्राइवर नदारद हो गये हैं। भाजपा में भगदड़ मच गयी है।

उप्र के मुज़फ़्फ़रनगर ने एक ऐसी ‘जनक्रांति’ को जन्म दिया है जो देश को भाजपा की नफ़रत भरी राजनीति के अंधकार से निकालकर अमन-चैन और तरक़्क़ी की नयी रोशनी की ओर ले जाएगी”।

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