उत्तर प्रदेश के विधानसभा सत्र में लखनऊ-उन्नाव के विधानपरिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने कोरोना जैसी महामारी के समय में भी फैले भ्रष्टाचार और अव्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।

सपा नेता ने कहा है कि मैं 19 दिन पीजीआई में जो देख कर आया हूं, सदन के माध्यम से उत्तर प्रदेश और आप सभी को बताना चाहता हूं कि कोई गलतफहमी में ना रहे हम तो यह भगवान से प्रार्थना करेंगे कि किसी को भी कोरोना ना हो।

सपा नेता ने बताया है कि कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद वह जहां पर एडमिट थे वहीं पर स्वर्गीय नेता और कैबिनेट मंत्री चेतन सिंह चौहान भी एडमिट थे।

उन्होंने बताया कि 8 लोगों के वार्ड में जहां पर कोरोना संक्रिमतों को रखा जाता है। वहां पर डॉक्टर और नर्स दूर से ही आते हैं और पूछते हैं कि चेतन कौन है? तो स्वर्गीय नेता ने अपना हाथ खड़ा किया। उसके बाद वहां पर टीम आती है और उन्होंने पूछा कि आपको करोना कब होगा तो उन्होंने अपनी सारी बात बताई।

इसके बाद एक दूसरा स्टाफ आकर पूछता है कि चेतन आप क्या करते हैं तो उन्होंने बताया कि मैं यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री हूं। मैं वहां पर यह सोच रहा था कि यह लोग इतनी बदतमीजी से कैसे बात कर सकते हैं ? उन्होंने इस बात का पता लगने के बाद भी कैबिनेट मंत्री चेतन सिंह से उसी तरीके से बात की। मुझे इस बात से बहुत गुस्सा आया कि सरकार का इनपर इतना भी दबाव नहीं है।

मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्या उत्तर प्रदेश में सिर्फ मान-सम्मान योगी आदित्यनाथ को ही मिल सकता है। मान लीजिए अगर सरकार के किसी भी मंत्री को करोना होगा तो उसके साथ क्या व्यवहार होगा यह आप सोच भी नहीं सकते। सपा नेता ने कहा कि मैंने डॉक्टर को बताया कि माननीय चेतन सिंह चौधरी योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री और पूर्व क्रिकेटर है। इलाज के दौरान वह काफी घुटन में रह रहे थे। ऐसा लगता है कि उनका निधन कोरोना की वजह से नहीं बल्कि सरकार की अव्यवस्था से हुआ है।

इसके बाद आपबीती बताते हुए सपा नेता ने कहा कि जब मेरा कोरोना टेस्ट हुआ तो मैं पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद 11 दिन जब मेरा दोबारा कोरोना टेस्ट हुआ तो वह भी पॉजिटिव आया। लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मेरे साथ फोन पर बात कर मुझे सरकार की अव्यवस्था पर खेद जताते हुए होम क्वारंटाइन होने की सलाह दी लेकिन मैंने अपनी एक और जांच कराने के बारे में फैसला लिया।

अस्पताल प्रशासन इस कदर अव्यवस्थित है कि उन्होंने मेरी कोरोना जान पांच बार की लेकिन मुझे रिपोर्ट नहीं मिल पाई जिसके बाद मैंने लिखित में अस्पताल को यह कहा कि मैं पीजीआई में इलाज नहीं करवाना चाहता। मुझे घर पर होम क्वारंटाइन कर दिया जाए।

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