उत्तर प्रदेश के हाथरस में घटी दिल दहला देने वाली घटना पर पूरी दुनिया नजर बनाए हुए है। किस तरह सरकारें निरकुंश और तानाशाह हो सकती हैं ये रोजाना देखने को मिल रहा है।

एक बेटी को मरने के बाद भी इंसाफ मिलने में काफी कठिनाई हो रही है। जबकि पूरे देश में उबाल है लेकिन सरकारी और प्रशासनिक उदासीनता सवाल खड़े कर रही है।

केस दर्ज करने में देरी, इलाज में देरी, मरने के बाद शव को जला देने की जल्दबाजी अब परिवार का नार्को टेस्ट कराने का सरकारी फरमान काफी सवाल खड़े कर रहा है।

भाजपा शासित उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बेटी के मरने के बाद भी इंसाफ देने के मूड में नहीं दिख रही है।

पूरा प्रशासन गैंगरेप नहीं हुआ है ये साबित करने में लगा हुआ है। उसी कड़ी में परिवार वालों का नार्को टेस्ट कराने का फरमान माना जा रहा है।

नार्को टेस्ट की खबर पर राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, पीड़ित परिवार से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का नार्को टेस्ट होना चाहिए।

उन्होंने लिखा कि, पीड़ित परिवार के narco test कराने की खबर आ रही है।

2010 में सर्वोच्च न्यायालय ने दोषी पे भी Narco, Brain Mapping और Polygraph को ग़ैर क़ानूनी ठहराया था। बिना सहमति के दोषी का narco भी नहीं कराया जा सकता है! ये क़ानून है जिसकी धज्जियाँ यूपी के ज्ञानी मुख्यमंत्री उड़ा रहे हैं!

योगी जी खुद कई संगीन अपराध के दोषी रहे हैं। अपने कार्यकाल में खुद पे दर्ज कई मुक़दमे के वापसी को आतुर रहे बाबा से कहता हूँ दूध का दूध, पानी का पानी करना ही है तो, पहले खुद का narco test करवा लें के क्या वो सच में दंगाई तो नहीं?

दरअसल पूरा तंत्र ऐसा नहीं लग रहा है कि वो पीड़िता के साथ खड़ा है वो ज्यादातर जगह खिलाफ खड़ा नजर आ रहा है।

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