सपा एमएलसी उदयवीर सिंह ने मौजूदा उत्तर प्रदेश सरकार पर धांधली का आरोप लगाया है। उन्होंने बिजली विभाग में बिजली बिल वितरण टेंडर में धांधली होने का आरोप लगाया है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि बिजली बिल वितरण प्रक्रिया के लिए जिन चयनित कंपनियों को टेंडर दिए गए थे, उन कंपनियों में से 5 कंपनियों की बैंक गारंटी में है गड़बड़ी। कंपनियों के बैंक स्टेटमेंट से लेकर पात्रता में भी कमी पाई गयी है।

गौरतलब है कि वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार में आजकल आये दिन नए घोटालों के खबरे आती रहती हैं। कभी किसी शहर के गॉंव गायब हो जाते हैं तो कुम्भ जैसे बड़े आयोजन में करोड़ों का घोटाला निकल कर सामने आता है।

जब जांच प्रक्रिया की बारी आती है तो कभी दस्तावेज गायब कर दिए जाते हैं तो कभी दस्तावेज दिखाने से इंकार कर दिया जाता है।

पर मजाल है कि सरकार इस पर कोई चर्चा तक कर दे, चर्चा तो दूर की बात है जनाब सरकार अपनी सफाई तक में एक शब्द न कहती।

झारखंड की जिस कम्पनी के साथ किया गया अनुबंध वह पहले से है ब्लैक लिस्टेड

सपा एमएलसी उदयवीर सिंह ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि टेंडर प्रक्रिया के दौरान जिन कंपनियों को टेंडर दिया गया उनमें से 5 फर्मों की तो बैंक गारंटी में ही गड़बड़ी पाई गयी।

उसके साथ झारखण्ड की एक ऐसी कंपनी को टेंडर दे दिया गया जो पहले से ही ब्लैक लिस्ट है।

भाजपा पर आरोप लगाते हुए उदयवीर सिंह ने कहा कि बिजली बिल वितरण और डोर टू डोर मीटर रीडिंग के लिए जिन कंपनियों के साथ अनुबंध किया गया था वह पूरी तरह से अपात्र हैं। कपंनियों की बैंक गारंटी के साथ साथ रिकॉर्ड में भी गड़बड़ी है।

जानकारी के लिए बता दें यूपीपीसीएल ने यह टेंडर 8 क्लस्टर में निकाले थे। उदयवीर सिंह ने कहा कि करोड़ों का काम जिन कंपनियों को दिया गया है वह पहले से ही दागी हैं ऐसे में किस आधार पर उनके साथ अनुबंध किये गए ।

उत्तर प्रदेश देश का सबसे ज्यादा आबादी वाला प्रदेश है जिसकी जनसंख्यां 20 करोड़ से ऊपर है।

ऐसे में डोर टू डोर मीटर रीडिंग और बिजली बिल वितरण के लिए जिन कंपनियों के साथ अनुबंध किया गया है, उसकी धनराशि सैकड़ों करोड़ में होगी और यदि उदयवीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोप सही हैं तो सरकार के पास उसका क्या जवाब है। और इस धांधली का जिम्मेदार कौन होगा?

आखिर किस आधार पर कंपनियों के साथ अनुबंध किए गए और ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को टेंडर देना तो दूर की बात टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ही क्यों लेने दिया गया।

हालाँकि सरकार के पक्ष से इस आरोप पर अबतक कोई बयान नहीं आया है। देखना दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व् उनके मंत्री इस आरोप पर अपनी सफाई में क्या कहते हैं और यदि टेंडर प्रक्रिया में सच में धांधली हुई है तो इन सब की भनक मुख्यमंत्री को क्यों नहीं लगी।

विदेश के एक मंत्री का वाकिया तो आपने सुना ही होगा कि जब रेलगाड़ी अपने संभावित समय से कुछ मिनट देरी से पहुंची तो वहां के रेलमंत्री ने तत्काल प्रभाव से अपने पद से स्तीफा दे दिया था।

और एक हमारे यहाँ के मंत्री हैं कि करोड़ों की हेर फेर के आरोप तो आये दिन लगते रहते हैं और बहुत एक तो साबित भी हो जाते हैं पर मज़ाल है कि वह अपने खिलाफ एक शब्द भी सुनना पसंद करें ऐसे में पद से इस्तीफा देना तो ख्यालों के दुनिया की बात मालूम पड़ती है।

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