उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जिले उन्नाव में महिलाओं पर अत्याचार के मामले थम नहीं रहे हैं।

अब खबर आ रही है कि दलित समाज की तीन बच्चियों को खेत के पास जंगल में बांधा गया था, जिसमें दो बच्चियां मृत पाई गई हैं और एक की हालत नाजुक बनी हुई है।

कल इस घटना की खबर मिलते ही योगी सरकार के खिलाफ देशभर में आक्रोश देखने को मिला, आज सुबह से ही #Save_Unnao_Ki_Beti यानी उन्नाव की बेटी बचाओ नंबर वन ट्रेंड हो रहा है।

हजारों लोग इस मामले पर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं और योगी सरकार की नीयत पर संदेह कर रहे हैं। लोगों को आशंका है कि योगी की पुलिस पीड़ित परिवार के साथ हाथरस जैसा व्यवहार कर सकती है ।

गौरतलब है कि हाथरस में बलात्कृत पाई गई बच्ची की मृत्यु के बाद उसे परिवार वालों को नहीं सौंपा गया बल्कि पुलिस वालों ने जबरन आधी रात को शव जला दिया था।

पीड़ित परिवार पर सख्ती की आशंका को और भी ज्यादा प्रबल करते हुए अमर उजाला के पत्रकार सूरज शुक्ला एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखते हैं -पीड़ित परिवारों को किया गया नजरबंद, मीडिया से मिलने पर रोक, गांव में पुलिस ने बैरिकेडिंग की- भारी संख्या में पुलिस बल तैनात…

इस तरह की घेराबंदी करके यूपी पुलिस संभवत यह कोशिश कर रही होगी कि उन्नाव का यह मामला हाथरस की तरह हाईलाइट ना हो।

मगर सवाल उठता है कि पुलिस प्रशासन कि ये सख्ती तब कहां चली जाती है जब अपराध रोकने की बारी आती है।

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