नागरिकता कानून का विरोध करने वालों के ख़िलाफ़ यूपी की योगी सरकार की बदले वाली कार्रवाई जारी है। अब राजधानी लखनऊ में नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन करने वाले 57 लोगों की चौराहों पर होर्डिंग्स लगाई गई हैं। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने 19 दिसंबर को हुए प्रदर्शन में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। जिनसे सरकार अब वसूली करेगी।
प्रशासन का दावा है कि इन 57 लोगों के चौराहों पर होर्डिंग्स मजिस्ट्रेट द्वारा कराई गई जांच के बाद लगाई गई हैं। ज़िलाधिकारी डीएम अभिषेक प्रकाश के मुताबिक, मजिस्ट्रेट की जांच में इन लोगों को दोषी पाया गया है।
प्रकाश ने बताया कि होर्डिंग्स में आरोपियों की तस्वीरें होने के साथ ही यह भी लिखा गया है कि मजिस्ट्रेट की कोर्ट से आदेश जारी होने के 30 दिनों में हिंसा के दोषी पाए गए लोगों ने धनराशि जमा नहीं की तो उनकी संपत्तियां कुर्क कर इसकी वसूली की जाएगी। ऐसी होर्डिंगे उन सभी थाना क्षेत्रों में लगाई जाएंगी जहां जहां हिंसा हुई थी।
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शहर के चौक-चौराहों पर लगी इन होर्डिंग्स में कई बड़े नाम भी शामिल हैं। अटल चौक और हजरतगंज इलाके में लगाई गई बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स में पूर्व आईपीएस अफसर एसआर दारापुरी, दीपक मिश्रा, सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस से जुड़ी रहीं सदफ जाफर, मौलाना सैफ अब्बास और मौलाना कल्बे सादिक़ के बेटे सिब्तैन नूरी भी नज़र आ रहे हैं।
दिलचस्प बात तो ये है कि प्रशासन ने वसूली के ये होर्डिंग्स ऐसे वक़्त में लगाई है जब इसको लेकर मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इससे पहले फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार द्वारा जारी किए जा रहे वसूली के नोटिस पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि वसूसी का नोटिस जांच की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही जारी किया जा सकता है।
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सदफ़ जाफ़र ने प्रशासन द्वारा लगाई गई इन होर्डिंग्स पर आपत्ति जताई है। उन्होंने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि ये कार्रवाई लोगों को बदनाम करने के लिए की जा रही है। जो सही नहीं है।