2019 लोकसभा चुनाव होने में अब कुछ ही समय बचा है चुनाव तारीखों का ऐलान मार्च महीने में कभी भी हो सकता है।
सत्ताधारी भाजपा अपने ‘खेवनहार’ मुद्दे ‘राम मंदिर’ को अनगिनत बार इस्तेमाल करने के बाद फिर से मंदिर-मंदिर कर रही है। प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले के बीच धर्म संसद हो हुई। विभिन्न आखाड़ों के साधू-संत और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इसमें शरीक हुए।
धर्म संसद स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में तीन दिन तक चली। इसमें साधू-संतों ने ऐलान किया कि, सभी साधू-संत प्रयागराज से सीधे अयोध्या जाएंगे और अयोध्या में 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास होगा।
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जाहिर है कि साढ़े चार साल तक चुप रहकर सत्ता का मजा चखने वाले साधू-संत चुनाव से ठीक पहले मंदिर बनाने का आन्दोलन तेज कर रहे हैं। वो ऐसा क्यों कर रहे हैं इसकी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। इनका एक ही लक्ष्य है कि मोदी दुबारा प्रधानमंत्री बनें और राम मंदिर उसका माध्यम।
कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राम मंदिर के बहाने भाजपा की सरकार बनवाने की कवायद में जुटे साधू-संतों, विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस पर तीखा हमला किया है।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, “संतों ने प्रयागराज में धर्म संसद लगाकर उसमें यह सिद्ध कर दिया है कि, वो सब भगवान राम के सेवक नहीं बल्कि मोदी के गुलाम हैं।”
VHP RSS और BJP के “संतों” ने, आज प्रयाग में आयोजित “धर्म” संसद में ये “सिद्ध” कर दिया, कि वो सब भगवान राम के “सेवक”
नहीं, मोदी के “ग़ुलाम” हैं.— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) February 1, 2019
कुंभ मेला में लगे धर्म संसद में स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा पारित परम धर्मादेश में हिंदू समाज से बसंत पंचमी के दिन प्रयागराज से अयोध्या के लिए प्रस्थान करने का आह्वान किया गया है। उन्होंने कहा कि, अगर अयोध्या में एकत्रित हुए लोगों को गोलियों का सामना करना पड़ेगा तो भी कदम पीछे नहीं हटेंगे।
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बता दें कि प्रयागराज में कुंभ के दौरान धर्म संसद में राम मंदिर बनाने के लिए 28, 29, और 30 जनवरी को साधू संतों की बैठक हुई। इस बार के कुंभ में एक बात खास यह है कि कौन से दिन शाही स्नान करना है बात उसकी होने के बजाय, आए दिन वहां राम मंदिर बनाने के लिए साधू-संतों के साथ ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी पूरी कबिनेट मीटिंग कर रहे हैं।
धर्म के नाम पर बीजेपी, धर्म गुरु, साधू-संत और प्रशासन जिस तरह से काम कर रहा है। उससे साफ़ है कि एक बार फिर लोकसभा चुनाव में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की बातें बीजेपी के बस्ते में ही कहीं पड़ी रहेगी। राम मंदिर बाहर निकलकर जनता के ललकारेगा!