अयोध्या विवाद के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का रास्ता अपनाया है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है। इस पैनल के अध्यक्ष जस्टिस इब्राहिम कलीफुल्लाह होंगे। पैनल में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू का नाम शामिल है।

पैनल में श्री श्री रविशंकर का नाम शामिल किए जाने पर ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि श्री श्री रविशंकर को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थ बनाया है लेकिन उनका पहले का एक बयान सबके सामने है जिसमें वह कहते हैं कि अगर मुसलमान अयोध्या पर अपना दावा नहीं छोड़ते हैं तो भारत सीरिया बन जाएगा।

ओवैसी ने कहा कि बेहतर होता अगर सुप्रीम कोर्ट ने किसी न्यूट्रल व्यक्ति को मध्यस्थ बनाया होता। उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी का स्टैंड यह है कि एक मध्यस्थ का विवादित बयान है तो उसे मध्यस्थ नहीं बनाया जाना चाहिए था लेकिन अब हम उम्मीद करते हैं कि श्री श्री अपने पुराने बयान को अपने दिमाग से निकाल देंगे। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि श्री श्री रविशंकर अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे।

वहीं श्री श्री रविशंकर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कोर्ट द्वारा मध्यस्थता की दिशा में यह कदम देश के सर्वोत्तम हित में है। इसके साथ ही उन्होंने ट्वीट कर कहा, “सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना- इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है”।

बता दें कि कोर्ट द्वारा गठित पैनल को अयोध्या में एक सप्ताह के भीतर बातचीत शुरु करनी होगी। पैनल को शुरुआती रिपोर्ट 4 सप्ताह में देनी होगी और पूरी रिपोर्ट 8 सप्ताह के भीतर सौंपनी होगी। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, इस मध्यस्थता को गोपनीय रखा जाएगा और इसकी मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी।

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