
भाजपा सरकार के कार्यकाल में पिछले 4 सालों में इंसानों से ज्यादा गाय को तवज्जो दी गई है। क्योंकि पिछले 4 सालों में गाय के पीछे मॉब लिंचिंग घटना ने स्थान लिया है और इसके गुनहगार खुलेआम घूम रहे हैं उससे तो ऐसा ही लगता है।
साल खत्म होने वाले हैं कि उससे पहले उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक घोषणा की है। सीएम योगी ने उत्तरप्रदेश के प्रत्येक राज्य को अवारा पशुओं के लिए गौशाला बनाने के लिए 10 करोड़ रू देने का ऐलान किया है।
द टेलीग्राफ के अनुसार, 16 नगर निगमों के लिए 160 करोड़ रू जारी किए गए हैं। और इससे पहले भी राज्य के 75 जिलों में गायों के गौशाला बनाने के लिए 1.2 करोड़ रू राशि जारी की गई थी।
यही नहीं पिछले साल भी 653 शहरी इलाकों में से 69 शहरों का गोशाला बनाने के लिए चुनाव किया था और इस पर 10 लाख से 30 लाख रू खर्च करने की बात कही गई थी। मगर इनमें से केवल दो जिलें लखनऊ और रायबरेली की कार्य समय पर कर पाई है।
बीजेपी नेता ने सीएम योगी को सूचित किया था कि आवारा पशु ( गाय और बैलों) की वजह से फसलें बर्बाद हो रही है और रोड़ दुर्घटनाग्रस्त भी इन्हीं की वजह से ज्यादा होतें हैं।
इसके बाद योगी आदित्य नाथ ने यह फैसला लिया। योगी आदित्यनाथ का फैसला उचित भी है। इस फैसले से लगता है कि सीएम को अपने प्रदेशवासियों का कितना ख्याल है।
पर वहीं वो बात फिर जहन में उठ जाती है कि भाजपा के कार्यकाल में इंसानों से ज्यादा गायों का तवज्जों दी जाती है, क्योंकि हमारी सराकर के पास किसानों के कर्जमाफी के लिए पैसे नहीं है। पर वहीं गौशाला बनाने के सरकार इतने पैसे लगा रही है।
हम सब जानते हैं कि गाय और बैलों को सालों से हमारे देश में पूजा जा रहा है, देश में सबसे ज्यादा डेरी प्रोडक्ट गाय के दूध से प्राप्त होते हैं और हमें उनकी सुरक्षा करना चाहिए। हर राज्यों में शहरों में गौशाला होना चाहिए।
मगर यहां सरकार किसानों की मांग को अनदेखा कर सारे पैसे गौशाला बनवाने में लगा दे रही है वो भी तो अनुचित ही है। उत्तरप्रदेश के किसान भी तो कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं।
सीएम योगी का ध्यान किसानों की तरफ क्यों नहीं गया। गौशाला के इस फैसले के विरोध न आप कर रहे हैं और न हम, गौशाला जरूर बने पर उसके साथ- साथ किसानों का कर्ज भी तो माफ हो।