भारत में वैक्सीन के अलावा महामारी से बचने का कोई उपाय नहीं दिख रहा है। वैक्सीन की कारगरता पर भी अभी पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन वैक्सीन के आने के पहले से ही वैक्सीन पर राजनीति होती आ रही है।

दैनिक भास्कर के आज के अंक में खबर प्रकाशित हुई है कि सरकार ने फ़ाइजर की शर्तें मान ली हैं। अगले 4 महीनों में 5 करोड़ टीके मिलेंगे। न्यूज चैनलों की बहसों से लेकर ट्विटर तक भाजपा के नेताओं और प्रवक्ताओं ने फ़ाइजर को नकारा है।

विपक्ष और वैज्ञानिकों ने भी फ़ाइजर के लिए बार बार सरकार से गुजारिश की। फिर आज अचानक सरकार ने सारी शर्तें अचानक क्यों मान लीं, ये आश्चर्य की बात है।

वहीं दूसरी ओर ट्विटर पर भी घमासान मचा हुआ है। ट्विटर ने भाजपा के कुछ नेताओं और प्रवक्ताओं के ट्वीट्स पर Manipulated Media का टैग क्या लगाया, आई.टी सेल ने ट्विटर पर ही #BanTwitterInIndia का हैशटैग चलाना शुरू कर दिया।

फिर दिल्ली पुलिस का एक समूह ट्विटर इंडिया के कार्यालय पहुंच गया और साथ ही अफवाह उड़ी कि ट्विटर भारत में बंद होने वाला है। लोगों के बीच ये कौतुहल का विषय बन गया।

मैग्सेसे विजेता रवीश कुमार ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि,
इनकी प्राथमिकता केवल हेडलाइन बनवाने की है। एक बड़े मुद्दे को खोज रहे हैं कि ताकि उसके झटके से लोग पिछले 2 महीने के नरसंहार को भूल जाए।“

मतलब साफ है सरकार केवल जनता का ध्यान अपनी विफलताओं से भटकाने के लिए मौके खोज रही है। कभी ट्विटर की शर्तें ना मानकर तो कभी फ़ाइजर की सभी शर्तें मानकर।

रवीश कुमार ने अपने पोस्ट में चीन के साथ संबंधों पर भी सरकार पर सवाल उठाए हैं। चीन ने पिछले वर्ष गलवान घाटी में जब हमला किया तब भी सरकार ने कछ बोला नहीं ।

बोला भी तो सीधा नकार दिया, कि कोई हमारी जमीन पर नहीं आया। जवाबी तौर पर बस टिकटॉक बंद कर दिया।

आज उसी चीन से पीपीई किट से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर तक आ रहा है। लेकिन भाजपा के किसी नेता और प्रवक्ता या सरकार से इस प्रश्न पर कुछ भी बोला नहीं जाएगा।

सरकार की नाकामियां और अव्यवस्था ने ही कोरोना महामारी को नरसंहार का रूप दिया है। सरकार के पास करने और कहने को कुछ नहीं है। शायद इसलिए सरकार केवल जनता को मुद्दों से भटकाने के बहाने खोज रही है।

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