जम्मू कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बिहार की कानून व्यवस्था की तुलना कश्मीर से करते हुए कहा कि जितनी हत्याएं बिहार में एक दिन में होती है उतनी हत्याएं कश्मीर में एक हफ्ते में होती है।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सोमवार को एक कार्यक्रम के संबोधन में सत्यपाल मलिक ने कहा कि कश्मीर के हालात अब सामान्य है। यहां दंगा – फसाद और पथराव बंद हो तपका है। कश्मीर के युवाओं की आंतकी समूहों में भर्ती के खबर भी नहीं आ रही है।
अपने संबोधन में सत्यपाल मलिक ने ये भी कहा कि जितनी हत्याएं पटना में एक दिन में होती हैं उतनी हत्याएं कश्मीर में एक हफ्तें में होती हैं। यानी हत्या के मामले कश्मीर की हालत बिहार से कहीं बेहतर है।
बेशक बिहार और उसकी राजधानी पटना में क्राइम रेट बढ़ा है जिसे यहां के पुलिस आंकड़े भी दर्शाते हैं। लेकिन इसके बावजूद अपराध के मामले में कश्मीर की तुलना बिहार से नहीं की जा सकती।
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बिहार में कभी आतंकी हमले नहीं होते, न ही यहां पत्थरबाज़ी की घटनाएं होती हैं जिसके चलते बिहार को कई हफ्तों के लिए बंद करना पड़ गया हो।
बिहार पुलिस को अपराध पर काबू पाने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल भी कभी नहीं करना पड़ा जिसकी वजह से किसी मासूम बच्ची ने अपनी एक आंख की रोशनी खो दी हो। तो फिर गवर्नर ने किस आधार पर कश्मीर में हो रही हत्याओं की तुलना बिहार से की।
बिहार में 2018 में कुल 2522 हत्या हो चुकी है। ये हत्याएं या तो चोरी के कारण, या बदले की भावना से हुई है। मगर कश्मीर में मौतें कुछ गुटों की आपसी लड़ाई की वजह से होती है। इन गुटों की लड़ाई में कश्मीर के बेकसूर लोग पिस रहे हैं।
कश्मीर गवर्नर ये बयान देकर क्या साबित करना चाह रहे हैं ये तो वही जाने। पर कश्मीर की जो इस समय हालत है वो अतुलनीय है। गवर्नर सिर्फ हत्याओं के मामलों में कश्मीर को बेहतर साबित नहीं कर सकते है क्योंकि सब कश्मीर की हालत अच्छे से जानते हैं।
चूंकि कश्मीर गवर्नर ने कश्मीर की तुलना बिहार की राजधानी से की है तो बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को उनके प्रदेश में बढ़ रहे क्राईम रेट को कम करने के लिए उपाय ढूंढने की जरूरत है।