धर्म पहले निजी मामला हुआ करता था, अब टीवी का मामला हो गया है। आज तक की एंकर श्वेता सिंह ने हर साल की भांति इस साल भी लाइट, कैमरा-एक्शन के बीच पटना घाट पर छठ मनाया। वैसे 2000 के नोट में चिप ढूंढने वाली पत्रकार से यही उम्मीद की जा सकती है।

युवा पत्रकार दीपांकर पटेल ने श्वेता सिंह के लाइट, कैमरा-एक्शन वाले छठ पूजा की विस्तृत समीक्षा की है। पढ़िए…

आज तक की श्वेता सिंह लाइट,कैमरा-एक्शन के बीच पटना के गंगा तट पर छठ मना रही हैं। तो क्या TRP के सारे मीटर डाउन हो जाएंगे?

सब बिहारी भरभराकर चैनल “आज तक” लगाएंगे? या रातोरात आज तक के यूट्यूब चैनल “बिहार तक” के सब्सक्राइबर बढ़ जाएंगे?

आज तक के पत्रकारों को छठ पर घर जाने के लिए टिकट तक नहीं मिला और श्वेता सिंह गंगा में पत्रकारिता का अर्ध्य दे रही हैं। सेलिब्रिटी पत्रकार ने अपनी व्रत के बाजार में कारोबार ढूंढ़ा लिया है, छुट्टी में असाइनमेंट है, असाइनमेंट में व्रत है।

छठ पूजा का प्रसारण किया जा रहा है। तेल गरम है, एंकरा पूड़ी छान रही हैं, कैमरे वाला गले तक पानी में उतर गया है, एंकरा कमर तक के पानी में अर्ध्य दे रही है।

व्यूअरशिप आ रही है। 36 घंटे का व्रत यू ट्यूव-टीवी सब पर पैकज बनकर आ रहा है। ये कौन सी पत्रकारिता हुई कि अपने पत्रकार को व्रती बनाकर मैदान मैं उतार दो?

अब ये तर्क कोई दे कि एंकरा तो नाक तक सिंदूर लगाकर अपना व्रत कर रही थी, चैनल ने शूट कर लिया। एक पंथ दो काज हो गया तो इसमें बुरा क्या है? मैं भी कह रहा हूं इसमें बुरा क्या है।

कपड़ों के चयन से लेकर विजुअल की बारीकी पर ध्यान देंगे तो आपको पता चलेगा कि श्वेता सिंह की हिंदू धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा का तब क्या होता है जब वो प्राइम टाइम शो “ख़बरदार” करती है। क्या तब वो सिंदूर लगाती हैं?

अपने रिलीजियस ओरिएनटेशन को अगर ऑन एयर लाना प्रोफेशनलिज्म नहीं है तो फिर छठ पूजा पर वो जो कर रही हैं वो क्या है? क्या ऐसे ही आजतक बकरीद पर अपने एंकर सईद अंसारी से बकरे की कुर्बानी करवाकर उसे ऑन एयर दिखा सकता है?

या फिर शम्स ताहिर खान का ईदगाह की नमाज पढ़ते हुए प्रसारण करे, जिसमें वो ये बता रहे हो कि ईदगाह की नमाज में कितने कलमें पढ़े जाते हैं। आखिर ये भी तो एक पंथ दो काज जैसी चीज ही होगी।

अगर आपको लगता है सईद और शम्स से चैनल अगर ऐसा कुछ करवाएगा तो बड़ा हास्यास्पद लगेगा तो श्वेता सिंह से चैनल जो करवा रहा है वो आपको सहज क्यों लग रहा है? क्यों?

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