सोहराबुद्दीन मुठभेड़ गुजरात के गृहमंत्री रहे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के गले की फांस बन चुका है। अब इसे लेकर जो खुलासे हुए वो बेहद चौंकाने वाले हैं क्योंकि इस मामले में मुख्य जांच अधिकारी अभिताभ ठाकुर ने कोर्ट में कई ऐसी बातें कही हैं जिसे हर किसी को जानने की ज़रूरत है। ठाकुर का कहना है कि मुठभेड़ के बदले में अमित शाह को 70 लाख रुपये दिए गए थे।

दरअसल साल 2005 में 26 नवंबर को गुजरात से एक ख़बर आई कि आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी मारा गया है। शख्स का नाम सोहराबुद्दीन बताया गया, जो कथित रूप से तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की फ़िराक में था।

सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक़, 23 नवंबर 2005 को सोहराबुद्दीन और कौसर बी एक बस में हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे कि तभी गुजरात के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने उनकी बस रोकी। इसके बाद इस जोड़े को अहमदाबाद के बाहर दिशा नाम के एक फ़ार्महाउस ले जाया गया और तीन दिन बाद एक फर्ज़ी मुठभेड़ में मार दिया गया।

तीन दिन बाद सीबीआई ने कहा कि कौसर बी का कथित तौर पर गला घोंटा गया और पुलिस उपायुक्त डीजी वंजारा के पैतृक गांव में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

एनकाउंटर में मारे गए सोहराबुद्दीन शेख़ का परिवार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और मुठभेड़ को फ़र्जी बताया था। इसके बाद इस मामले में तीन आईपीएस अधिकारियों डीजी वंज़ारा, राजकुमार पांडियन और दिनेश कुमार एमएन को गिरफ़्तार किया गया था।

इसी मामले में वर्तमान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में हत्या, अपहरण, फिरौती और साज़िश रचने का आरोप लगाया था। जिसके बाद शाह को गिरफ्तार कर साल 2010 में जेल भेज दिया गया था।

फिर चार साल बाद दिसंबर 2014 में मुंबई की एक अदालत ने मुक़दमा शुरू होने से पहले ही सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के ख़िलाफ़ सभी आरोप ख़ारिज कर दिए। इस मामले के 37 अभियुक्तों में से शाह एक थे। इन आरोपियों में राजस्थान के भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया और ओपी माथुर भी शामिल थे।

इस मामले की जांच कर रहे मुख्य अधिकारी अभिताभ ठाकुर ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि एनकाउंटर के फौरन बाद पॉपुलर बिल्डर के मालिक रमन पटेल और दशरथ पटेल से डीजी बंजारा ने 60 लाख और अमित शाह ने 70 लाख रुपए लिए थे।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में जिन 22 लोगों को आरोपी बनाया गया है उनके पास सोहराबुद्दीन की हत्या करने की न तो कोई राजनीतिक वजह थी और न ही आर्थिक। हालांकि ठाकुर ने कहा कि इस बात को साबित करने के लिए उनके पास कोई सबूत नहीं हैं।

इस मामले में लिप्त डीजी वंजारा जिनपर 2002 से 2006 के बीच अलग-अलग फर्ज़ी मुठभेड़ों में नौ लोगों की हत्या का आरोप हैं। उन्होंने जेल में लिखी तीन किताबों में अमित शाह को आपराधिक छवि का बताया है और वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी का ज़िक्र करते हुए कहा था कि शाह के इस काम से मोदी को राजनैतिक फायदा हुआ।

शाह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं। यह वही अमित शाह हैं जिनकी मुठभेड़ के समय वंजारा और अन्य अभियुक्त पुलिसवालों से 300 बार फ़ोन पर बात हुई।

दिसंबर 2014 में एक नाटकीय फ़ैसला लेते हुए मुंबई की एक अदालत ने मुक़दमा शुरू होने से पहले ही सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के ख़िलाफ़ सभी आरोप ख़ारिज कर दिए।

बता दें कि इस मामले कुल 38 व्‍यक्ति आरोपी हैं जिनमें से अमित शाह के साथ 16 आईपीएस को बरी कर दिया गया. इस मामले में अब 22 आरोपी है उनमें पुलिस इन्सपेक्टर असिस्‍टेंट इंस्‍पेक्‍टर, सब-इंस्‍पेक्‍टर, कॉन्‍स्‍टेबल्‍स और एक अन्य व्‍यक्ति शामिल है।

यह व्‍यक्ति उस फार्महाउस का मालिक है, जहां 23 नवंबर, 2005 को बस से अगवा कर सोहराबुद्दीन और उनकी पत्‍नी कौसर-बी को कथित रूप से बंधक बनाकर रखा गया था।

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