उत्तर प्रदेश में योगी राज का कथित ‘रामराज्य’ है। इस योगी राज में जंगलराज कायम हो गया है। आए दिन यूपी में बच्चियों से बलात्कार, सरेआम हत्या, लूट, महिलाओं पर तेजाब फेकना, पत्रकारों पर हमले की खबरें आ रही हैं। इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ हाई प्रोफाइल बैठकें कर रहे हैं। लेकिन इसका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है।

प्रदेश में इतना सबकुछ होने के बाद भी मीडिया योगी सरकार से सवाल नही पूछ रहा है। बता दें कि अखिलेश यादव सरकार में (2012-17) इस तरह की घटनाएं मीडिया की ‘मुख्य ख़बरों’ में शामिल हुआ करती थीं। तब इसको कहा जाट था गुंडाराज।

मगर अब योगी सरकार को मीडिया बचाने का प्रयास कर रही है। इसकी साक्षात बानगी दिखाई है दैनिक अख़बार ‘दैनिक जागरण’ ने। यूपी में एक के बाद एक हत्याओं, बलात्कारों के बाद दैनिक जागरण ने इसका टीकरा सरकार पर ना फोड़ते हुए ‘यूपी पुलिस’ को निशाना बनाया है। जागरण ने “खता खाकी की, कठघरे में सरकार।” नाम से हैडिंग देकर खबर छापी है।

बुधवार को आगरा में बार काउंसिल की पहली महिला अध्यक्ष दरवेश यादव की हत्या, अलीगढ़ में ट्विंकल शर्मा की जघन्य हत्या के बाद कठघरे में आई योगी सरकार का बचाव करते हुए दैनिक जागरण ने लिखा है कि, “योगी सरकार की साख पर संकट इसीलिए भी ज्यादा गहरा गया है, क्योंकि पुलिस अब अपराधियों की भागीदार के रूप में भी बेपर्दा हो रही है।”

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दैनिक जागरण इस खबर से भाजपा और सीएम योगी आदित्यनाथ के पक्ष में माहौल बना रहा है कि, यूपी में हो रही हत्याओं और अपराध के लिए पूरी तरह से यूपी पुलिस जिम्मेदार है। इसमें सरकार की को जिम्मेदारी नहीं है। अख़बार ने ये नहीं बताया कि योगी से पूर्व की सरकारों में भी यही पुलिस हुआ करती थी! जागरण के इस तर्क के हिसाब से पहले की सरकारों में भी अपराध की जिम्मेदारी यूपी पुलिस की बनती है। फिर पिछली सरकारों को भी जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए। लेकिन मीडिया में अखिलेश और मायावती की सरकारों को गुंडाराज कहा गया।

यानि मीडिया का बीजेपी और योगी सरकार में ऐसा कौन सा हित छिपा हुआ है? मीडिया के हित का पता लगा पाना बहुत आसान है बस इसके लिए थोड़ी बैठकर मूल्यांकन करने की जरुरत है। यही मीडिया है जो यूपी में अपराधों के लिए अखिलेश, मुलायम और मायावती के कार्यकाल को गुंडाराज बताता है और अब के अपराधों के लिए योगी सरकार को बाइज्जत बरी करते हुए ऐसे ही जाने देता है। मानो इस सरकार की कोई जिम्मेदारी ही नहीं बनती।

जागरण की इस खबर में एक पहलू ये भी है कि, जागरण यूपी के टॉप के अख़बारों में गिना जाता है। यूपी जैसे हिंदी भाषी राज्य में लोग चौक-चौराहों और घरों में इस अख़बार को बड़ी मात्रा में पढ़ते हैं। यही अख़बार लोगों में मत निर्माण का काम भी करते हैं। लोगों को पता तो है कि इस समय यूपी में हत्या और बलात्कार सहित तमाम अपराध हो रहे हैं। लेकिन जब अख़बार के माध्यम से यूपी के लोगों में ये संदेह जाएगा कि इन सभी घटनाओं के लिए मुख्यमंत्री योगी जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि यूपी की पुलिस इन सभी के लिए जिम्मेदार है।

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इससे सीएम योगी का चेहरा लोगों के बीच साफ़ सुथरा बना रहेगा और फिर लोग चुनाव में अखिलेश, मायावती के कद-प्रभाव को कम आंकेंगे और उनके चेहरे की तुलना में योगी को साफ़ पाएंगे। फिर इसका फायदा योगी को चुनाव में मिल सकेगा।

इसीलिए मीडिया द्वारा मोदी और योगी सरकार को बचाना जागरण की इस हैडिंग से समझिये कि इन्हें क्यों गोदी मीडिया कहा जाता है। सरकार से सवाल करने के बजाय सरकार की चाटुकारिता करते हुए सरकार का बचाव करना किस पत्रकारिता का धर्म है। लेकिन मीडिया के लिए धर्म-कर्म अब सब पीछे छुट गया है।

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