पूर्व प्रधानमंत्री एवं अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी की दूसरी सालगिरह के मौके पर कहा कि नोटबंदी ऐसा ज़ख़्म है जो वक्त के साथ भरने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। मनमोहन सिंह के इस बयान की पुष्टी अब एक रिपोर्ट से हुई है।

थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अक्टूबर में देश में बेरोज़गारी की दर 6.9 फीसदी पर पहुंच गई है जो पिछले दो सालों में सबसे ज्यादा है। पिछले साल जहां 40.7 करोड़ लोगों के पास रोज़गार था, वह अब घटकर 39.7 करोड़ लोगों के पास रह गया है। यानी पिछले साल के मुकाबले बेरोज़गारी दर में 2.4 फीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है।

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इसके साथ ही श्रमिक भागीदारी के आंकड़े भी जारी किए गए हैं। जिसके मुताबिक, श्रमिक भागीदारी घटकर 42.4 फीसदी पर पहुंच गई है जो जनवरी 2016 के आंकड़ों से भी नीचे है। श्रमिक भागीदारी का आंकड़ा नोटबंदी के बाद बहुत तेज़ी से गिरा है। उस वक्त यह आंकड़ा 47-48 फीसदी था जो दो सालों के बाद भी हासिल नहीं कर सका।

वहीं नई नौकरियों के सृजन की बात करें तो इसकी हालत बेहद ख़राब है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, नौकरी पाने की टकटकी लगाए बेरोजगारों के आंकड़ों में एक साल में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। साल 2017 के जुलाई में ऐसे बेरोज़गारों की संख्या 1.4 करोड़ थी जो 2018 के अक्टूबर में बढ़कर 2.95 करोड़ हो गई।

सीएमआईई के इन आंकड़ों पर एचआर सर्विसेज सीआईईएल के सीईओ आदित्य नारायण मिश्रा का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अक्तूबर-दिसंबर का समय नौकरी के सृजन का समय होता है, लेकिन नौकरी की मांग ज्यादा है और नौकरी कम इसलिए इस दौरान यह आंकड़ा चिंताजनक है।

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ को तोड़ दिया है। उन्होंने कहा था कि नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था लगातार जूझ रही है जिसका बुरा असर रोजगार पर पड़ रहा है। युवाओं को नौकरियां नहीं मिल पा रहीं।

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