ravish kumar
Ravish Kumar

यस बैंक की हालत पर मैं मज़ाक़ नहीं उड़ा सकता। मुझे पता है कि बैंक के कई अफ़सर मेरे बारे में अनाप शनाप ट्रोल कर रहे थे। अफ़वाहें फैला रहे थे। मुझे पता है कि खाताधारकों में मोदी मोदी करने वाले थे। मोदी भक्त थे। तब भी मैं उनके इस दुख पर मज़ाक़ नहीं करूँगा। ऐसा किया तो मेरे अंदर भी वही होने लगेगा जिसके होने पर दूसरे की आलोचना करता हूँ।

मुझे बहुत पीड़ा हो रही है कि किसी को भी अपने ही पैसे के लिए एक महीना तनाव में रहना होगा। उनकी होली चिन्ता में गुजरेगी। गोदी मीडिया के कई चैनलों का खाता यस बैंक में हैं। बहुत से पत्रकार बहुत कम कमाते हैं। उनका घर चलता है। इस पर अगर आप हँसते हैं या मज़ाक़ करते हैं तो आप खुद को अमानवीय बना रहे होते हैं। इसलिए यस बैंक के डूबने पर हंसी मज़ाक़ की कोई मीम और जोक्स फार्वर्ड न करें।

ज़रूर यस बैंक के डूबने पर आलोचना करें। सरकार से सवाल करें।भाषा में पर्याप्त संभावनाएँ हैं। लेकिन आपकी सहानुभूति खाताधारकों के प्रति होनी चाहिए। किसी के साथ भी ऐसा होना दुखद है। क्रूर है। कृपया मुझे ऐसे जोक्स न भेजें।

मेरे पास सरकार की आलोचना के लिए पर्याप्त शब्द हैं। ठीक भी है कि 2017 से रिज़र्व बैंक और सरकार जब बैंक निगरानी कर रहे थे तब बैंक क्यों डूबा। क्यों प्रमोटर को अपना हिस्सा बेच कर निकलने दिया गया? एक साल से बैंक के बोर्ड में रिज़र्व बैंक का डिप्टी गवर्नर था। फिर क्यों यस बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट जारी क्यों नहीं की? यस बैंक एक प्राइवेट बैंक है। उसे बचाने के लिए स्टेट बैंक पैसा देगा। जिसमें जनता का पैसा है। अगर स्टेट बैंक को कुछ हुआ तो?

यह सब सवाल है। नीतिगत सवाल है। 2018 से ही इंफ़्रा बैंक के डूबने की शुरुआत हुई। उनके पैसा जहां लगे थे पहले वे डूबे। फिर इंफ़्रा बैंक में जिनके पैसे लगे थे वो डूबे। जिन निवेशकों ने यस बैंक के शेयर लिए थे वे भी डूब गए। तो पीड़ितों का एक चक्र बना है। लेकिन जो लोग आम लोगों का पैसा उड़ा ले गए वो मौज कर रहे होंगे। लोगों के पास कांग्रेस बनाम बीजेपी का टुकड़ा बचा है।

इसलिए गुज़ारिश है कि यस बैंक को लेकर मज़ाक़ न करें। जिसका पैसा डूबा है उस पर हँसना क्रूरता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here