Zee News
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जी न्यूज चैनल के कार्यालय में 29 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। ये समय किसी भी मरीज के साथ संवेदना व्यक्त करने का है। लेकिन ये एकदम ठीक समय है जबकि जी न्यूज के स्टाफ और उसके फ्लैगशिप एंकर से इस महामारी की सामान्य समझ के सम्बंध में कुछ सवाल किए जाएं। जब से ये खबर सामने आई है, जी न्यूज organisation पर अपने स्टाफ के स्वास्थ्य की लापरवाही को लेकर सवाल किए जा रहे हैं। इस कारण जी न्यूज का एंकर अपने संक्रमित कर्मचारियों से वीडियो बनवाकर टीवी और ट्विटर पर चलवा रहा है।

मोटे तौर पर संक्रमित कर्मचारियों का कहना है न इसमें हमारी गलती है, न हमारी organisation की। इसमें किसी की भी गलती नहीं है। ये महामारी ही ऐसी है कि इसमें बचाव मुश्किल है। ये कहते हुए जी न्यूज का स्टाफ खुद को कोरोना वारियर भी घोषित कर रहा है। एक तरह से उनका ये कहना भी है कि जनता तक सटीक, निष्पक्ष खबर पहुंचाने के लिए और भी कुर्बानी देनी होंगी तो वे देंगे। (इस आखिरी पंक्ति को सुनते ही “ओ भाई, मारो मुझे मारो” की ध्वनि स्वतः ही मेरे कानों में बजने लगती है”)

बस यहीं मेरा एक सवाल है। आज जब आप पर आफ़त आई है तो आप कोरोना वारियर बन गए हैं, जब निजामुद्दीन में बेचारे सैंकड़ों तीर्थयात्री संक्रमित हो गए थे तब वे “कोरोना जिहादी” थे। तब बड़े ट्विटर ट्रेंड चलाए जा रहे थे। तब आपने ही हफ्तों भर “कोरोना जिहाद” जैसे कार्यक्रम चलाकर मुसलमानों के प्रति घृणा फैलाई थी। तब आपका ही एंकर बड़े बड़े ग्राफिक्स लेकर आता था, ताजा-ताजा आंकड़ें लेकर समझाता था कि कैसे कोरोना जिहाद एक साजिश के तहत है। एक वर्ग के लोग साजिशन संक्रमित हो रहे हैं ताकि बाकी देश में कोरोना फैलाया जा सके। तब ये समझ आपमें से किसी में भी नहीं थी? जो आज अचानक आ गई है!

टीवी स्क्रीन पर जो आ रहा होता है उसका जिम्मेदार केवल एक अकेला एंकर ही नहीं होता। उसमें पूरी प्रणाली का अपना-अपना हिस्सा होता है। स्क्रिप्ट लिखने वाला, ग्राफिक्स बनाने वाले, रिसर्च करने वाले, रिपोर्ट देने वाला, वॉइस ओवर देने वाला, इन्वेस्टर्स, शेयर होल्डर्स, प्रमोटर्स आदि आदि। इन सबको पता होता है कि वे किस कम्पनी के लिए काम कर रहे हैं, किस विचार के लिए काम कर रहे हैं। उनका एंकर क्या भाषा बोल रहा है। वह जहर बेच रहा है, चाटुकारिता कर रहा है, चमचागिरी कर रहा है या जनमुद्दे उठा रहा है। इन्हें सब पता होता है।

मैं अधिक सुचिता की मांग नहीं कर रहा, सामान्य जीवन के चलाने के लिए मामूली समझौते किए जाते हैं। माँ सकता हूँ। इसलिए सरकार की चाटुकारिता में साथ निभाने वाले स्टाफ को पल भर के लिए नजरअंदाज भी किया जा सकता है लेकिन जहर बांटने वाले, दंगा भड़काने वाले, घृणा फैलाने में साथ देने वाले स्टाफ को निर्दोष नहीं माना जा सकता। वह बराबर का दोषी है, उतना ही जितना कि उसका एंकर, उतना ही जितना कि उसका मालिक।

जब जी न्यूज का एंकर चिल्ला चिल्ला कर कोरोना के लिए देश के अल्पसंख्यक वर्ग को निशाना बना रहा था, तब एंकर के साथ साथ उसके स्टाफ पर भी प्रश्न बनता है। आखिर आप उस प्रणाली के हिस्सा कैसे बने रहे जो एक वर्ग विशेष के लिए लगातार घृणा फैलाता रहा है?जब आपका एंकर कोरोना महामारी के लिए मुसलमानों को दोषी ठहरा रहा था तब इन 29 संक्रमित मरीजों में से किसी एक का भी जी नहीं मचला कि वे जिस आर्गेनाईजेशन के लिए काम करते हैं वह एक वर्ग विशेष के प्रति बहुसंख्यक समाज को भड़का रही है।

आपमें से बहुत कहेंगे कि उनकी रोटी का सवाल था, नौकरी का सवाल था। तब क्या इसका एक अर्थ ये भी है कि आप भी दंगे करवाने में दंगाइयों का साथ देंगे यदि वे आपको सैलरी पर रख लें? मेरा मानना है रोटी की कोई भी मजबूरी आपको वर्ग विशेष के प्रति घृणा फैलाने के अपराध से मुक्त नहीं कर सकती। रोटी की मजबूरी का बहाना देकर आप देश में घृणा फैलाने के काम का हिस्सा नहीं बन सकते। अन्यथा आप मानिए कि आप भी बराबर के अपराधी हैं।

कोरोना वायरस के मरीज मेरे जी न्यूज के साथियों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। मैं उनकी लंबी उमर और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ। आप सच में कोरोना वारियर्स हैं। लेकिन आपकी तरह अन्य वर्ग के मरीज भी कोरोना वारियर हैं। जैसे आज आपको लगता है कि आपके संक्रमित होने में आपकी आर्गेनाईजेशन या आपकी कोई गलती नहीं है।

चूंकि ये महामारी ही ऐसी है। वैसे ही अन्य वर्ग के मरीजों की भी इसमें अधिक गलती नहीं थी। न तबलीगी तीर्थयात्रियों की, न सिख यात्रियों की, न आपकी। कोई नहीं चाहता कि ये बीमारी उन्हें हो। इसलिए आप एक बात जान लीजिए आज आप जरूर कोरोना वारियर्स हैं। लेकिन बाकी दिनों में जब आपका चैनल एक वर्ग विशेष के प्रति घृणा फैला रहा था, तब आप वारियर्स नहीं बल्कि दंगाई थे, उतने ही जितना कि आपका एंकर। फिर भी मैं ईश्वर से कामना करता हूँ आप जल्दी स्वस्थ्य हों, और अपने घर वालों से दोबारा मिलें। खूब खूब दुआएं आप सबके लिए।

(ये लेख पत्रकार श्याम मीरा सिंह के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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