कोरोना की दूसरी लहर से बिहार का बुरा हाल हो चुका है। जदयू और भाजपा की सरकार जिस रफ्तार से काम कर रहे हैं उससे राज्य के लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं होने वाला है।

पूरे राज्य में हजारों लोग संक्रमण से प्रभावित होने के बाद अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं, जहां न उन्हें बेड मिल पा रहा है और न ही सही इलाज।

अव्यवस्था से नाराज आम आदमी सरकार से सवाल कर रहा है और इसी नाराजगी का फायदा उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी नीतीश सरकार पर हमलावर हो रहे हैं। बिहार के नेताओं नकारेपन को इंगित करते हुए तेजस्वी यादव लिखते हैं-

केन्द्र सरकार DRDO के जरिए कम आबादी और कम कोरोना मामलों के बावजूद हरियाणा में 500 बेड वाले दो कोविड समर्पित अस्पताल चालू करवा रही है।

क्या बिहारियों की जान इतनी सस्ती है जो NDA को 48 MP देने के बावजूद इस महामारी में केंद्र सरकार का यह आपराधिक सौतेलापन सहें?

बिहार NDA के(39+9) 48 सांसद और 5 केंद्रीय मंत्री मिलकर भी बिहार के लिए DRDO से एक 500 बेड का कोविड समर्पित अस्पताल सुनिश्चित नहीं करवा सकते? धिक्कार है ऐसे डरपोक नाकारा सांसदो पर!

कोरोना संकट में भी बिहार की केंद्र द्वारा की जा रही अनदेखी पर CM नीतीश कुमार क्यों मुँह में दही जमाए हुए है? बस यही हैसियत है? कहाँ है दो-दो उपमुख्यमंत्री?

कहाँ है बड़बोले केंद्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद, गिरीराज सिंह, अश्विनी चौबे, आरके सिंह और नित्यानंद राय?

याद करो लालू जी का UPA-1 का दौर, बिहार में बाढ़-सुखाड़ जैसी किसी भी प्रकार की आपदा और संकट की घड़ी में तत्कालीन प्रधानमंत्री जी के बिहार दौरे के साथ साथ विशेष सहायता और राहत कोष बिहार को मिलता था।

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