दूरदर्शन को आपातकाल के वक़्त एक नाम दिया गया था सरकारी भोंपू। यानी की एक ऐसा जनसंचार का माध्यम जो सिर्फ सरकार का ही गुणगान में लगा रहता है। तबसे लेकर अबतक सरकार चैनल दूरदर्शन इस छवि से बाहर नहीं आ पाया है। क्योंकि इतने साल बाद उसपर सरकार का पक्ष लेने का आरोप लग रहा है, जिसकी शिकायत अब चुनाव आयोग(EC) में की गई है।

दरअसल विपक्षी नेताओं ने आयोग से दूरदर्शन पर मोदी सरकार का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। आरोप में कहा गया था कि दूरदर्शन ने अपने न्यूज़ और क्षेत्रीय चैनलों पर बीजेपी के ‘मैं भी चौकीदार’ का सीधा प्रसारण किया था। वहीं चुनावी कवरेज में भी दूरदर्शन ने बीजेपी को 160 घंटे दिए जबकि कांग्रेस सिर्फ 80 घंटे ही दिए गए।

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इस आरोप पर खुद चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाई है। साथ ही आयोग ने सूचना एव प्रसारण मंत्रालय को कहा कि वो दिशा निर्देश जारी करें कि कवरेज के दौरान कहीं पर भी राजनीतिक दलों में भेदभाव ना किया जाये। आयोग ने कहा कि हमें जो रिपोर्ट मिली है वो प्रसारण अवधि न्यूज़ कार्यक्रम और भाषण रैली की लाइव रिकार्डेड कवरेज मिलकर तैयार किया गया है।

मगर इन सबके बीच दूरदर्शन ने आयोग को जो सफाई दी है वो बेहद ही कमजोर दिखाई देती है। दूरदर्शन ने कहा कि क्योंकि बीजेपी केंद्र के साथ साथ 16 राज्यों में सत्ता में है इसलिए उसकी रैली और कार्यक्रम ज्यादा होते है।

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बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने 31 मार्च को अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए मैं भी चौकीदार से की थी। जिसका सीधा प्रसारण दूरदर्शन के तमाम चैनलों पर दिखाते हुए देश के 500 हिस्सों में लोगों सम्बोदिथ किया था  दूरदर्शन ने इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण करीब 85 मिनट दिखाया था जिसे लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग ने शिकायत की थी।

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