भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में साल 2019 में प्रयागराज में आयोजित किए गए कुंभ मेले में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और फिजूल खर्च किए जाने की खबर सामने आई है।
खबर के मुताबिक, कैग की ऑडिट रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि बेहतर योजना के अभाव में योगी सरकार ने करोड़ों रुपए बर्बाद किए।
बिना किसी वित्तीय स्वीकृति के सरकार ने अपने मनमानी करते हुए एक ही काम का अलग-अलग रेट से भुगतान किया।
दर्जनों कामों में मानक से ज्यादा रुपए खर्च किए गए हैं। इसके अलावा 2019 के कुंभ के प्रचार प्रसार के लिए भी मानक से दुगना खर्चा किया गया।
योगी सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए कई नियमों का उल्लंघन किया है। यहां तक कि राज्य में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों की भविष्य निधि का पैसा भी मारा गया है।
इसके अलावा ऑडिट में यह भी पता चला है कि बाइक और कार के नाम पर ट्रैक्टरों के पंजीकरण किए गए। साल 2019 के कुंभ मेले के आयोजन के लिए 32 से ट्रैक्टर खरीदे गए थे। जिनके नंबर टू व्हीलर्स के नंबर पर है।
कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2019 के प्रयागराज में संपन्न हुए कुंभ मेले के आयोजन के लिए नगर विकास विभाग ने कुंभ मेला अधिकारी को 2,743.60 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। लेकिन इसके मुकाबले जुलाई, 2019 तक 2,112 करोड़ रुपये खर्च किये गए।
इसके अलावा विभिन्न विभागों ने अपने बजट से प्रयागराज कुंभ मेले से संबंधित कामों और सामग्री खरीदने के लिए धन जारी किया था। हालांकि अन्य विभागों द्वारा दिए गए धन की जानकारी मेला अधिकारी ने उपलब्ध नहीं करवाई है। जिससे खर्च की गई सामग्री स्थिति का पता नहीं लगाया जा सका।
वहीं इस मामले में आप सांसद संजय सिंह ने योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा- “राम मंदिर हो, चाहे प्रयागराज का कुंभ हो, भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही है।
मैं मुख्यमंत्री योगी और भाजपा से कहना चाहता हूं कि कम से कम धर्म को तो बख्श दो। कभी प्रभु श्री राम के मंदिर के नाम पर चंदा चोरी करते हो, कभी प्रयागराज के कुंभ मेले के आयोजन के नाम पर भ्रष्टाचार करते हो।
पूरे उत्तर प्रदेश की जनता आपके सच को देख रही और समय आने पर जवाब देगी।”
आपको बता दें कि योगी सरकार ने कुंभ मेले के उपकरणों को खरीदने के लिए हर राज्य आपदा राहत कोष से भी 65 करोड़ का आवंटन किया था।
जबकि राज्य आपदा राहत कोष का उपयोग सिर्फ प्राकृतिक आपदा से पीड़ित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए इस्तेमाल होता है।