केंद्र सरकार ने नए कृषि कानून लागू कर किसानों को आंदोलन करने के लिए मजबूर कर दिया। पिछले साल नवंबर महीने से किसान देश की राजधानी दिल्ली में अपने खेत, अपनी कृषि अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

सरकार ने इन पर आंसू गैस औऱ वॉटर कैनन चलवाने के अलावा बस उन्हें खालिस्तानी, आंतकवादी, आंदोलनजीवी जैसे शब्द दिए हैं।

इसी कुप्रथा को आज केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने आगे बढ़ाते हुए आंदोलनकारी किसानों को ‘मवाली’ कहा है।

उन्होंने इन किसानों की तुलना मवालियों से की है। यह भी कहा है कि इस तरह प्रदर्शन करना आपराधिक है। विपक्ष ऐसी चीजों को बढ़ावा दे रहा है।

लेखी के इस बयान के आने के बाद से सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने मीनाक्षी लेखी के इस बयान की कड़ी निंदा की है और उनसे इस्तीफे की मांग की है।

गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए मीनाक्षी लेखी ने कहा, ‘वे किसान नहीं मवाली हैं। इसका संज्ञान भी लेना चाहिए। ये आपराधिक गतिविधियां हैं। जो कुछ 26 जनवरी को हुआ वह भी शर्मनाक था। वे आपराधिक गतिविधियां थीं। उसमें विपक्ष की ओर से चीजों को बढ़ावा दिया गया।’

कांग्रेस के नेताओं ने विरोध जताते हुए मीनाक्षी लेखी को माफी मांगने को कहा है। दिल्ली में 4 बार विधायक रहे वरिष्ठ् कांग्रेसी नेता मुकेश शर्मा ने ट्वीट किया, ‘शर्म करो! मीनाक्षी लेखी जी किसान मवाली नहीं बल्कि अन्नदाता है!! इसलिए माफी मांगो या इस्तीफा दो…’

मीनाक्षी लेखी के इस बयान पर किसान नेता राकेश टिकैत ने इसे 80 करोड़ अन्नदाताओं का अपमान करना कहा है। इतना ही नहीं टिकैत ने ये भी कहा कि मीनाक्षी लेखी को शर्मिंदा होना चाहिए और किसानों द्वारा उगाया खाना खाना ही बंद कर देना चाहिए।

टिकैत ने कहा, ‘मवाली वो होते हैं जिनके पास कुछ नहीं होता। किसानों को लेकर इस तरह की भाषा का इस्तमाल बिल्कुल गलत है। हम किसान हैं, कोई मवाली नहीं। किसान देश के अन्नदाता हैं।

मवाली कह कर उन्होंने देश के 80 करोड़ अन्नदाताओं का अपमान किया है। अगर हम मवाली हैं तो मीनाक्षी लेखी को हम किसानों का उगाया खाना खाना बंद कर देना चाहिए।’

मीनाक्षी लेखी की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं-

“भाजपा के एक मंत्री द्वारा आंदोलनकारी किसानों को ‘मवाली’ कहा जाना मानसिक दिवालियापन है। ये देश की दो-तिहाई जनसंख्या का ही नहीं, पूरे देश का अपमान है।

भाजपाई किसानों का उगाया खाना बंद कर दें। “

संसद के मॉनसून सत्र के दौरान 200 किसानों का जत्था दिल्ली के जंतर मंतर पहुंच कर आज नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ पहुंचा है। किसानों ने संसद के करीब रह कर किसान संसद में चर्चा करने का फैसला लिया है।

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