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दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ लगातार विरोध-प्रदर्शन जारी है।
भारत के राज्यों में भी जगह-जगह कैब के खिलाफ विरोध हो रहा है। इन प्रदर्शन को भारतीय मीडिया के साथ-साथ विदेश की मीडिया ने भी प्रमुखता से कवर कर रही है। दुनिया के बड़े अखबारों ने भारत में हो रहे प्रदर्शनों को जगह दी है।
मंगलवार को अमेरिका के द न्यूयॉर्क टाइम्स, द वाशिंगटन पोस्ट, वॉल स्ट्रीट जनरल अखबारों ने इस खबर को छापा। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि, “मोदी के हिन्दू राष्ट्र के सपने के खिलाफ भारत में विरोध-प्रदर्शन।” वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि, “भारत में नागरिकता कानून का विरोध जारी।”
छात्रों के समर्थन में आए ऋतिक रोशन, कहा- देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में अशांति से दुखी हूं
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में छपी ख़बरों को लेकर भारत की वैश्विक छवि को धूमिल करने वाला बताया है। अखिलेश ने ट्वीट करके कहा कि, “शिक्षण संस्थानों में शिक्षार्थियों पर हिंसक प्रहार करवाने वालों ने भारत की ‘विश्वगुरु’ की छवि को खंडित किया है। आज भाजपा की नफ़रतभरी राजनीति से हमारे देश का ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का वैश्विक-सौहार्द का सिद्धांत दुनियाभर के समाचारों में धूमिल हुआ है।”
शिक्षण संस्थानों में शिक्षार्थियों पर हिंसक प्रहार करवानेवालों ने भारत की ‘विश्वगुरु’ की छवि को खंडित किया है.
आज भाजपा की नफ़रतभरी राजनीति से हमारे देश का ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का वैश्विक-सौहार्द का सिद्धांत दुनियाभर के समाचारों में धूमिल हुआ है.#NoMoreBJP pic.twitter.com/Aid5LMJkG1
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 18, 2019
इसी के साथ यूनाइटेड किंगडम (यूके) के द इंडिपेंडेंट ने भारत में विरोध प्रदर्शन: कम से कम पांच प्रदर्शनकारियों की मौत, प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने रूका शीर्षक के साथ दिल्ली में जलती हुई डीटीसी बस का फोटो भी प्रकाशित किया है। पाकिस्तान के बड़े अख़बार द डॉन ने जामिया और एएम यू के छात्रों के साथ पुलिस के बर्बरता करने की बात लिखी है।