उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह भले ही नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शनों के दौरान पुलिस फायरिंग की बात से इनकार कर रहे हों, लेकिन बिजनौर के एसपी संजीव त्यागी ने कबूल कर लिया है कि प्रदर्शनों के दौरान पुलिस ने फायरिंग की।
उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत के दौरान ये मान लिया है कि बिजनौर में प्रदर्शन के दौरान 20 वर्षीय सुलेमान की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई। उन्होंने बताया कि पुलिस ने सुलेमान पर गोली आत्मरक्षा में चलाई थी। बता दें कि बिजनौर में 20 दिसंबर को नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन किए गए थे। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच मुठभेड़ हुई थी। जिसमें मोहम्मद अनस और सुलेमान की मौत हो गई थी।
पुलिस की ओर से पहले बयान आया था कि दोनों ही प्रदर्शनकारियों की मौत क्रॉस फायरिंग में हुई। लेकिन अब एसपी संजीव त्यागी ने इस बात की पुष्टी कर दी है कि मारे जाने वाले युवकों में एक सुलेमान की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई। हालांकि अनस की मौत के बारे में उनका अभी भी यही कहना है कि उसकी मौत क्रॉस फायरिंग में हुई।
चैनल से बात करते हुए एसपी संजीव त्यागी ने कहा, “जब हमारा एक कांस्टेबल छीनी गई बंदूक वापस लेने के लिए आगे बढ़ा तो भीड़ में से किसी ने उन पर फायरिंग कर दी। वह बाल-बाल बचे। जवाबी कार्रवाई और आत्मरक्षा के तौर पर उन्होंने उसपर गोली चला दी। उसके दोस्त उसे लेकर चले गए। उसका नाम सुलेमान है और उसकी मौत हो गई। एक और प्रदर्शनकारी अनस की भी भीड़ की ओर से की गई फायरिंग में मौत हो गई”।
ग़ौरतलब है कि यूपी में नागरिकता कानून के विरोध में किए गए प्रदर्शनों में 15 लोगों की मौत हुई थी। इन मौतों पर जब यूपी के डीजीपी ओपी सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था कि प्रदर्शनों के दौरान ने पुलिस ने कोई फायरिंग नहीं की। उन्होंने कहा था कि केवल प्रदर्शनकारियों ने ही हिंसा में हथियारों का इस्तेमाल किया था।