उसकी उम्र महज 17 साल थी. नाम था फैसल. यूपी के उन्नाव में ठेला लगाकर एक पेड़ के नीचे सब्जी बेचा करता था. 3 पुलिसवाले आएं और उसे पीट पीटकर मार डाला.

मामले ने तूल पकड़ा तो लीपापोती की कोशिशें हुई. पुलिस ने कहा कि पहले से फैसल की तबीयत खराब थी. कोतवाली पहुंचते ही उसे हार्ट अटैक आया और वो मर गया.

कहानी तो अच्छी रची गई थी लेकिन थोड़ी देर पहले तक बिल्कुल ठीक ठाक हालत में फैसल सब्जी बेच रहा था.

कोतवाली पहुंचते ही उसे हार्ट अटैक आ गया, बिल्कुल फिल्मी स्टोरी रची थी पुलिस वालों ने लेकिन अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है.

ये पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही है कि कितनी क्रूरता और बेरहमी से फैजल की हत्या पुलिस ने कर दी है.

शरीर पर ऐसी कोई जगह नहीं है जिसे पुलिस वालों ने अपने बूटों से रौंदा न हो. छाती पर, पीठ पर, हाथ पर, पैर पर.. जहां जहां भी मन किया, वहां वहां मारा, वहां वहां उसकी पिटाई की गई.

वो सब्जी बेचने वाला फैसल था कोई आतंकवादी नहीं और ये दानव बन चुके थें, पुलिस नहीं. फैसल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही है कि उसके शरीर पर 14 निशान पा गए हैं.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हो चुकी है कि पुलिस की कहानी झूठी है. फैसल की मौत हार्ट अटैक से नहीं बल्कि पुलिस की ज्यादती से हुई है. रिपोर्ट के अनुसार फैसल की मौत सिर पर चोट लगने से हुई है.

फैसल के पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो गया है कि उसकी मौत नहीं हुई है बल्कि उसकी हत्या हुई है और इस हत्या के जिम्मेदार पुलिसवाले ही हैं.

एएसपी शशि शेखर ने बताया कि परिजनों की तहरीर पर आरोपी पुलिसकर्मियों विजय चौधरी और सत्य प्रकाश पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

फैसल के परिजनों ने बताया कि विजय चौधरी और सत्य प्रकाश फैसल को लाठी, डंडों से बेहद बुरी तरह से पीटते हुए बीच चौराहे तक ले गए. उसके बाद उसे थाने ले जाने के लिए जीप में बैठाया और जीप में उसे बूट से बुरी तरह से पीटा.

ऐसा लग रहा था कि जैसे कि इन पुलिसकर्मियों के सिर पर खून सवार था. लगातार मार खाते खाते फैसल की हालत बेहद खराब हो चुकी थी. उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां पर उसने दम तोड़ दिया.

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