पिछले महीने ये ख़बर आई थी की देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी CBI के मिसयूज के डर से आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने सीबीआई के आने पर रोक लगा दी थी।
इसे लेकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिस्थापना अधिनियम 1976 की धारा 6 द्वारा राज्य के क्षेत्राधिकार में सीबीआई द्वारा अपनी शक्तियों के प्रयोग पर रोक लगा दी थी।
जिसके तहत CBI इन राज्यों में केंद्रीय अधिकारियों, सरकारी उपक्रमों और निजी व्यक्तियों की जांच सीधे नहीं कर सकती और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी इन राज्यों में कोई कदम नहीं उठा सकती है।
भगौड़े माल्या-मोदी के घर CBI भेजने के बजाए अखिलेश, ममता और लालू के घर CBI भेज रहे हैं PM मोदी : जिग्नेश मेवानी
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया था कि सरकार गठबंधन रोकने के लिए CBI का इस्तेमाल कर रही है।
वहीं इस मामले पर अब पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपयी ने सोशल मीडिया पर लिखा, लोकतंत्र तमाशा बन जाये संविधान ताक पर रख दिया जाये संघीय ढाँचे से खुला खिलवाड़ होने लगे तो कोई भी जानना चाहेगा कौन है मदारी?
लोकतंत्र तमाशा बन जाये..
संविधान ताक पर रख दिया जाये..
संघीय ढाँचे से खुला खिलवाड़ होने लगे…
तो कोई भी जानना चाहेगा..
कौन है मदारी ???— punya prasun bajpai (@ppbajpai) February 3, 2019
CBI चिटफंड घोटाले के मुख्य आरोपी ‘मुकुल रॉय’ के घर क्यों नहीं गई? वो ममता को छोड़ मोदी के साथ हो गए हैं इसलिए?
बता दें कि सीबीआई के गलत इस्तेमाल पर इससे पहले भी कई सवाल उठ चुके है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में जिस तरह से सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह और बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ लंबे समय से अलग-अलग आरोपों में सीबीआई जांच करती रही है और दोनों ही दलों ने हमेशा आरोप लगाया कि सीबीआई का इस्तेमाल उन्हें डराने और राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है, चाहे केंद्र में सरकार कांग्रेस की रही हो या भाजपा की।