ये व्यथा है 71 वर्षीय सुरेंद्र सिंह की। सुरेंद्र सिंह ने लगभग 30 सालों तक विदेश में चीफ इंजीनियर के तौर पर नौकरी की और जमकर मेहनत की ताकी रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी अच्छी तरह से व्यतीत कर सकें लेकिन हो गया इसका उल्टा।
सुरेंद्र सिंह ने अपनी सारी जमा पूंजी को पीएमसी बैंक में जमा किया। आज हालत यह है कि पिछले 20 महीनों में इन्हें बैंक ने इनके जमा किए हुए करोड़ों रुपयों में से महज 01 लाख रुपया दिया है।
रोटी खाने तक के लिए लाले पड़ गए हैं सुरेंद्र सिंह के। जैसे तैसे घर के पास के गुरुद्वारे में लंगर खाकर अपना जीवन जैसे तैसे गुजार रहे हैं।
जाने माने पत्रकार सोहित मिश्रा ने ट्वीटर पर इस मामले की जानकारी देते हुए लिखा है कि एक अकेले सुरेंद्र सिंह नहीं है जो ऐसी दुर्दशा के शिकार हुए हैं बल्कि उन जैसे लाखों लोग हैं जोे परेशानी झेल रहे हैं।
सोहित ने लिखा है कि सुरेंद्र सिंह जैसे लाखों लोगों ने अपने सुखद भविष्य की पूरी तैयारी की लेकिन बैंक और सरकार की गलती की वजह से उन्हें जो भुगतना पड़ रहा है, वो सबके सामने हैं।
सोहित ने आगे कहा है कि सोचने वाली बात है कि कोरोना की महामारी और फिर लाॅकडाउन के मुश्किल दौर में ऐसे लोगों पर क्या गुजरी होगी !
सोहित ने पीएम मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को टैग करते हुए पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे पीड़ित लोगों से कभी बात की या निर्मला सीतारमण ने ऐसे लोगों के लिए कुछ किया ?
71 वर्षीय सुरेंदर सिंह ने 30 सालों तक विदेश में चीफ इंजीनियर की नौकरी की और अपनी पूरी जमापूँजी PMC बैंक में जमा किया। पिछले 20 महीनों में इन्हें बैंक ने केवल 1 लाख रुपया दिया है, जबकि इनके करोड़ों रुपये बैंक में जमा हैं..हालात यह हैं कि अब यह गुरुद्वारा में खाना खाने को मजबूर हैं pic.twitter.com/px6hgJn0eb
— sohit mishra (@sohitmishra99) June 14, 2021
मालूम हो कि वर्ष 2019 में रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया को पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक में हो रही धांधली की सूचना मिली थी। बैंक को संकट से बचाने के नाम पर रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने इसके खाताधारकों के लिए पैसा निकालने की एक सीमा निर्धारित कर दी थी।
शुरुआती दौर में खाताधारकों को 50 हजार रुपये अधिकतम राशि निकालने की सीमा निर्धारित कर दी गई थी, बाद में इसे 1 लाख रुपये कर दिया गया।
पीएमसी बैंक के देश भर के 07 राज्यों में 137 शाखाएं हैं और इसके लाखों खातधारक ऐसी समस्या से जूझ रहे हैं।
महंगाई के इस विकट दौर में एक लाख रुपये से कितने दिन कोई व्यक्ति अपने परिवार का भरण पोषण कर सकता है? बैंक की गलतियों की सजा खाताधारक को क्यों?
अपने मन की बात सुनाने वाले प्रधानमंत्री ऐसे लोगों की बात क्यों नहीं सुनते? इनकी समस्याओं का समाधान कौन करेगा?