
भाजपा 2014 लोकसभा चुनाव से खुद को किसानों और गरीबों की पार्टी होने का दावा कर रही है। लेकिन विडंबना ये है कि उसके शासन में किसानों की स्तिथि बिगड़ती जा रही है। महाराष्ट्र में भाजपा के शासन में किसानों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है।
इस राज्य में भाजपा की सरकार के शासन के दौरान किसानों की आत्महत्या की संख्या दोगुनी गई है। राज्य की राहत और पुनर्वास विभाग के डेटा के अनुसार, जनवरी 2015 से सितम्बर 2018 के दौरान महाराष्ट्र में 11,225 किसानों ने आत्महत्या की है।
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वहीं, अगर एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन वाली राज्य की पूर्व सरकार के कार्यकाल को देखा जाए तो जनवरी 2010 से दिसम्बर 2013 के बीच राज्य में 6,028 किसानों ने आत्महत्या की।
आंकड़े साफ़ दिखाते हैं कि भाजपा का शासनकाल किसानों के लिए मौत के तांडव से कम नहीं रहा है। महाराष्ट्र में किसान बहुत बुरी स्तिथि में हैं। कुछ ही महीने पहले हज़ारों की संख्या में मुंबई आकर प्रदर्शन किया था।
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किसानों का ये गुस्सा 2019 में भाजपा को भारी पड़ सकता है। क्योंकि अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव भी हैं।