बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आखिरकार सालों बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है। कभी बीजेपी के चोटी के नेता रहे आडवाणी अब बीजेपी के सबसे पीछे के नेता रह गए हैं।

आडवाणी ने एक लेख लिखकर कहा है कि, “मेरे लिए पहले देश, पार्टी बाद में और स्वयं सबसे अंत में। बीजेपी ने अपने राजनीतिक विरोधियों को कभी दुश्मन नहीं माना और न ही उन्हें राष्ट्रद्रोही कहा।”

बीजेपी को जन्म देने वाले इस नेता ने अपनी ही पार्टी के बारे में बहुत बड़ी बात कह दी है। लेख में उनका इशारा अब के बीजेपी नेताओं के ऊपर है जो लगातार विपक्ष और विपक्ष के नेताओं को पाकिस्तानी बता रहे हैं। विपक्ष मुक्त भारत की बात कर रहे हैं!

बता दें कि, चुप्पी तोड़ते ही आडवाणी ने सीधे मोदी के राष्ट्रवाद पर हमला बोला है। हालांकि उन्होंने अपने लेख में मोदी का जिक्र नहीं किया है, लेकिन उन्होंने जिन विचारों को जनता के सामने रखा है वह वर्तमान मोदी के बीजेपी से एकदम मेल नहीं खा रही है।

आडवाणी जी, अगर गुजरात दंगों में मोदी को बचाया नहीं होता तो आज आपकी ये दुर्गति नहीं होती

उन्होंने कहा है कि पार्टी का उद्देश्य हमेशा देश पहले रहा है। बाद में पार्टी और फिर बाद में व्यक्तिगत हित रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही भारतीय लोकतंत्र का सार है।

बीजेपी की स्थापना के समय पार्टी की ऐसी कोई विचारधारा नहीं थी कि जो बीजेपी से सहमत नहीं है वह हमारा दुश्मन है। आडवानी के इन विचारों से आप देख सकते हैं को मोदी की बीजेपी और आडवानी के समय की बीजेपी में कितना अंतर है।

आपको बताते चलें कि लालकृष्ण आडवाणी मोदी के इतने अंध समर्थक रहे हैं कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा नरेन्द्र मोदी को मुख्यमंत्री पद से हटाने के सभी प्रयासों को उन्होंने विफल कर दिया था।

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