‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली मोदी सरकार में बेटियों को कितनी सुरक्षा मिल रही है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले छह महीने में बच्चों के साथ दुष्कर्म के 24 हज़ार से ज़्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने बताया कि एक जनवरी से 30 जून तक देशभर में बच्चों से दुष्कर्म की 24,212 FIR दर्ज हुई हैं। इनमें से 11981 मामलों में जांच चल रही है, जबकि 12231 केस में चार्जशीट पेश हो चुकी है लेकिन ट्रायल सिर्फ 6449 मामलों में ही शुरू हुआ है। इनमें भी सिर्फ चार फीसदी यानी 911 मामलों का निपटारा हुआ।

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उन्होंने बताया कि सुप्रीम रजिस्ट्री से बच्चों से दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर आंकड़े जुटाने को कहा गया था। कोर्ट ने कहा था कि पूरे देश में पहली जनवरी से 30 जून के बीच ऐसे मामलों में दर्ज FIR और की गई कानूनी कार्रवाई के आंकड़े जुटाए जाएं। रजिस्ट्री ने देश के सभी हाइकोर्ट से आंकड़े मंगाए और याचिका तैयार की।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हालात बेहद गंभीर हैं। कोर्ट ने सरकार को भी आंकड़े बताए और कहा कि हम विशेष अदालतें, तेज जांच और निर्धारित समय सीमा में ट्रायल, इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग और संसाधन बढ़ाने पर विचार करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों से रेप के बढ़ते मामलों के लिए पुलिस की लापरवाही को भी ज़िम्मेदार ठहराया।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील वी गिरी को न्याय मित्र नियक्त किया है। वहीं सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता को भी सुनवाई में मदद करने का निर्देश दिया गया है।

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