हाल ही में घोषणा हुई कि भारतीय मूल के पराग अग्रवाल ट्विटर के नए CEO होंगे। इस घोषणा के कुछ देर बाद ही ट्विटर पर एक मीम वायरल होने लगा।
इस मीम में भारतीय मूल के कई CEO की तस्वीर है और लिखा है ”पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा अमेरीका”
Nice one on my timeline: Padhega India tabhi toh badhega America. 😄 Good night, shubhratri! pic.twitter.com/g5ia7NjXAi
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) November 30, 2021
ट्विटर के नए CEO की घोषणा के साथ ही ये चर्चा एक बार फिर ताजा हो गई कि आखिर भारत की प्रतिभा को अपने देश में चमकने का मौका क्यों नहीं मिलता?
इस गरमा गरम बहस के बीच संसद से उड़ती-उड़ती खबर आयी है कि 2017 से अब तक 6 लाख से अधिक लोगों ने दूसरे देशों के लिए भारत की नागरिकता छोड़ दी है।
विश्वगुरू बनकर दुनिया को रास्ता दिखाने की लालसा रखने वाले भारतवासियों के लिए ये चिंता का विषय होना चाहिए।
हालांकि राम मंदिर, कश्मीर और टाईट किए गये मुसलमानों को दिखाकर मोदी सरकार चिंतित भारतवासियों को मैनेज कर लेगी। फिर भी पूरी खबर जान लेतें हैं-
मंगलवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि 2017 में 1.33 लाख, 2018 में 1.34 लाख, 2019 में 1.44 लाख और 2020 में 85,248 लोगों ने दूसरे देशों के लिए भारत की नागरिकता छोड़ दी। इस साल 30 सितंबर तक 1.11 लाख लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी है।
राय ने विदेश मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया है कि अभी कुल 1,33,83,718 भारतीय नागरिक विदेशों में रह रहे हैं।
अब सवाल उठता है कि जब भारत में ‘सब चंगा सी’ तो इतनी भारी संख्या में लोग नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं?
क्या इसके लिए नेहरू जिम्मेदार हैं? या वो लोग जिम्मेदार हैं जिन्हें पीएम मोदी कपड़ों से पहचान लेते हैं?
क्या पीएम मोदी के नेतृत्व में विकास में कोई कमी रह गई है? क्या लोगों को कब्रिस्तान की तुलना में श्मशान का अभाव झेलना पड़ रहा है?
क्या पीएम मोदी ने देश में श्मशानों की कमी होने दी है? अगर देश में श्मशान पर्याप्त है तो फिर लोग नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं?