एक तरफ कोरोना महामारी लोगों के लिए जानलेवा हो रही है तो दूसरी तरफ नाकाम सरकारों और नौकरशाहों द्वारा चलाई जा रही व्यवस्था.

कहीं कोई बेरोजगारी से परेशान होकर आत्महत्या करने को मजबूर है तो कोई सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार से परेशान होकर।

पिछले कुछ दिनों में ऐसी तमाम खबरें आई हैं जिन पर अखबार और टीवी मीडिया ने तो जोर नहीं दिया मगर सोशल मीडिया पर इनके बारे में लिखा जा रहा है।

इसी क्रम में पत्रकार कृष्णकांत लिखते हैं-

शिक्षक संजीव कुमार को पांच साल से वेतन नहीं मिला है. वे इतने निराश हो गये कि जीने की इच्छा खतम हो गई. अपना हाथ काटकर दीवार पर लिखा, भ्रष्टाचार मुर्दाबाद! उन्होंने अपना गला भी काट दिया और तेजी से खून बहने के कारण बेहोश हो गए. कुछ लोगों ने देखा तो पुलिस बुलाई. संजीव अस्पताल में भर्ती हैं. सोमवार को इस घटना के विरोध में ​अन्य शिक्षकों ने प्रदर्शन किया. मामला बिहार के सीतामढ़ी का है. विरोध के बाद वेतन जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई है.

यूपी के बलिया में सोमवार रात पीसीएस अधिकारी मणि मंजरी राय ने पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली. अधिकारी के शव के पास से सुसाइड नोट मिला है, जिसमें लिखा है कि वे दिल्ली, मुंबई से बचकर बलिया चली आईं, लेकिन यहां उन्हें राजनीति में फंसाया गया. नोट के मुताबिक, ‘बलिया में मेरे साथ बड़ा धोखा हुआ है और मुझसे गलत काम करा लिया गया’.

एक पत्रकार ने दिल्ली एम्स के ट्रामा सेंटर की चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली. इस आत्महत्या पर भी सवाल उठ रहे हैं.

सिस्टम आपको इतना फ्रस्ट्रेट कर देता है कि एक दिन आप खुद ही मर जाएं.

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