AAJ TAK ANCHOR ANJANA OM KASHYAP

बिहार के मुजफ़्फ़रपुर में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (AES) यानि चमकी बुखार से अबतक मरने वाले बच्चों की संख्या 144 के पार पहुँच चुकी है लेकिन शासन-प्रशासन आँखें बंद करके गहरी नींद में है।

मुख्यमंत्री को दिल्ली से फुर्सत मिली तो बैठक करने पहुंच गए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को वर्ल्ड कप में गिरने वाले विकेट की चिंता है। प्रधानमंत्री खामोशी से लोकसभा में नजर आ रहे हैँ।

उन्हें ना ट्विटर पर मासूमों की मौत पर दुख साझा करने फुर्सत की है ना अपने भाषणों में। मीडिया अबतक सोता रहा।

जब जागा तो बहुत देर हो चुकी थी लेकिन फिर भी उसकी नजर में दोषी तो सिर्फ अस्पताल के डॉक्टर, नर्स व वार्ड बॉय हैं।

क्योंकि सरकार से सवाल करना उनकी पत्रकारिता में शोभा नहीं देता है या शायद उनके मालिकों ने मना कर दिया है।

मंगलवार को आजतक की एंकर अंजना ओम कश्यप करीब-करीब 16 दिनों बाद न्यूज रूम से निकलकर अस्पताल दौरे की रिपोर्टिंग करने ग्राउंड पर पहुंची।

अंजना की रिपोर्टिंग ICU से शुरू होती है। जहां पहले से ही सरकारी लापरवाही की वजह से बच्चे, परिजन, डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ परेशान है वहां अंजना परिजनों और नर्सों से सवाल करती है।

ऐसे समय में जब अस्पताल के डॉक्टर खुद ये स्वीकार कर रहे हैं कि अस्पताल में पर्याप्त दवाइयां और बेड मौजूद नही हैं। एक-एक बेड पर दो से लेकर तीन बच्चों का एक साथ इलाज चल रहा हैं।

पूरा अस्पताल स्टाफ दर्दनाक परिस्थतियों में वैसे भी काम कर रहा है। सरकार से सवाल पूछने की बजाए अंजना ने उल्टा इलाज कर रहे डॉक्टर से सवाल करने लगी ! मानों इन सब के जिम्मेदार डॉक्टर हों

अंजना तो डॉक्टर को ही हर चीज़ का ज़िम्मेदार बताती हैं। उनको सिस्टम की कमी से ज़्यादा डॉक्टर में कमी दिख रही है। अंजना के हिसाब से डॉक्टर केवल उनके कैमरे को देख कर ही काम कर रहे थे।

अंजना यहाँ भी अपना ही काम कर रही हैं, सरकार को बचा रही हैं। वो यहां भी सरकार से ज़्यादा डॉक्टरों पर गुस्सा दिखा रही हैं, उन्हें ज़िम्मेदार मान रही हैं!

लेकिन जब चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या 144 के पार पहुंच जाती है तब उनको ख्याल आता है कि स्टूडियो में मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुस्लिम के अलावा मुजफ्फरपुर से भी तो टीआरपी गेन की जा सकती है।

इसके बाद ‘आजतक’ सबसे शर्मनाक हेडलाइन भी बनाता है कि “बच्चों के इलाज के लिए डॉक्टर से भिड़ गई “एंकर”।

अंजना ICU में डॉक्टर से पूछती हैं कि बढ़ती हुई संख्या में बच्चों को कहाँ एडजस्ट करिएगा? उनकी मानें तो अस्पताल में बेड कम होने के जिम्मेदार डॉक्टर हैं। अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या कम होने के जिम्मेदार भी डॉक्टर हैं। अस्पताल के कमरों की चौड़ाई कम होने के जिम्मेदार भी डॉक्टर हैं। मतलब सारी समस्या के जिम्मेदार ही डॉक्टर हैं। इस सबके जिम्मेदार न तो नीतीश कुमार हैं न तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं।

बच्चों के परिजन अस्पताल में इलाज न मिलने से जिस परेशानी से गुजर रहे हैं। अंजना ओम कश्यप उनके दुःख को नहीं समझ सकीं।

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