दिल्ली में पिछले 2 दिनों से दंगे की स्थिति बनी हुई है और पुलिस प्रशासन का रवैया संदिग्ध लग रहा है। दिल्ली पुलिस निष्पक्षता के साथ काम नहीं कर रही है इसकी एक बानगी आम आदमी पार्टी के विधायक हाजी यूनुस के ट्वीट से मिलती है।
आज मंगलवार की दोपहर ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा- मुस्तफाबाद विधानसभा के चारों तरफ के हालात बहुत बुरे हैं मैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की साथ बैठक में भी नहीं जा सकता, प्रशासन के अधिकारी फ़ोन नहीं उठा रहे हैं, बात नहीं कर रहे हैं, चन्दू नगर कई घरों में दंगाईयों ने आग लगा दी है, स्थिति बहुत तनावपूर्ण है, जनता में भारी रोष है।
मुस्तफाबाद विधानसभा के चारों तरफ के हालात बहुत बुरे हैं मैं मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal की साथ बैठक में भी नहीं जा सकता ,प्रशासन के अधिकारी फ़ोन नहीं उठा रहे हैं,बात नहीं कर रहे हैं,चन्दू नगर कई घरों में दंगाईयों ने आग लगा दी है ,स्थिति बहुत तनावपूर्ण है,जनता में भारी रोष है.
— Haji Mohd Yunus AAP (@hajimyunus) February 25, 2020
दरअसल हाजी यूनुस मुस्तफाबाद से एमएलए हैं, जहां से हिंसा की सबसे ज्यादा खबरें आ रही हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि भड़काऊ नारे लगाती हुई भीड़ बार-बार आकर इलाके के लोगों पर हमला कर रही है।
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ऐसे में प्रशासन से मदद मांगने पर आम आदमी को मिलने वाली राहत की क्या बात की जाए जब विधायक का ही फोन नहीं उठाया जा रहा है। दिल्ली पुलिस की इस हरकत से 18 साल पहले गुजरात दंगे की घटना याद आ रही है जब पूर्व सांसद एहसान जाफरी पुलिस प्रशासन से मदद मांगते रहे लेकिन किसी ने फोन तक नहीं उठाया ।
प्रशासन द्वारा मिलने वाली मदद के अभाव में उन्हें जलाकर मार दिया गया इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या राजधानी दिल्ली में भी वही गुजरात मॉडल दोहराया जा रहा है ? क्या देश की राजधानी में उसी तरह दंगा करवाने की कोशिश की जा रही है?