रिलायंस कम्युनिकेशन (आरकॉम) के को-फाउंडर और नरेंद्र मोदी के करीबी अनिल अंबानी को जेल हो सकती है। ऐसा देश के उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा। दरअसल 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में निल अंबानी के रिलायंस कम्युनिकेशन्स से जुड़े एक मामले की सुनवाई हुई।
अनिल अंबानी की तरफ से दलील पेश कर रहे थे कपिल सिब्बल और मोदी सरकार के अटॉर्नी जनरल रहे मुकुल रोहतगी। लेकिन दोनों वरिष्ठ वकीलों की दलील काम न आयी और सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी को अवमानना मामले में दोषी करार दिया।
साथ ही कोर्ट ने अंबानी को चार हफ़्ते के भीतर एरिक्सन के 4.5 अरब रुपए लौटाने का निर्देश दिया है। अगर अनिल अंबानी रुपए नहीं लौटाते तो तीन महीने की जेल तय है।
जिस अंबानी को ‘सुप्रीम कोर्ट’ भरोसे लायक नही समझती, भाजपा उसपर पूरा भरोसा करती है : BSP प्रवक्ता
अनिल अंबानी पर सुप्रीम कोर्ट के शिकंजे के बाद राजनीतिक गलियारों से पीएम मोदी पर हलमा शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ट्वीट किया है…
‘ये देखिये मोदी जी ने इन्हीं को राफ़ेल का ठेका दिलवाया है, सैकड़ों करोड़ का फ़्रॉड करके भागे फिर रहे हैं और मेरे ऊपर 5000 करोड़ का मानहानि का केस कर रखा है क्या राफ़ेल के दलालों का कोई सम्मान होना चाहिये?’
ये देखिये मोदी जी के मीतरो को इन्हीं को राफ़ेल का ठेका दिलवाया है मोदी जी ने, सैकड़ों करोड़ का फ़्रॉड करके भागे फिर रहे हैं और मेरे ऊपर 5000 करोड़ का मानहानि का केस कर रखा है क्या राफ़ेल के दलालों का कोई सम्मान होना चाहिये? pic.twitter.com/qCVDFm5Kr5
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) February 20, 2019
दरअसल अंबानी ब्रदर्स को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। राफेल सौदे में विवाद के बाद अनिल अंबानी और पीएम मोदी का नाम एक साथ लिया जाने लगा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने विमान महंगी कीमत पर खरीदा है और इस डील से उद्योगपति अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाया है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार ये दावा करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर ही अनिल अंबानी की नई कंपनी रिलायंस एयरोस्ट्रक्टर लिमिटेड को राफेल डील में आफ़सेट पार्टनर बनाया गया।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिल अंबानी को अवमानना के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निशाने पर हैं।
क्या है एरिक्सन विवाद ?
एरिक्सन ने 2014 में अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम का टेलीकॉम नेटवर्क संभालने के लिए 7 साल की डील की थी। इस दौरान आरकॉम पर एरिक्सन का 1100 करोड़ का बकाया हो गया। एरिक्सन ने आरकॉम से बकाया रकम वसूलने के लिए दिवालिया अदालत (NCLT) का दरवाजा खटखटाया।
NCLT के सामने आरकॉम इस बात के लिए राज़ी हो गई कि वह सेटेलमेंट की रकम जो कि सिर्फ 550 करोड़ रुपये थी, उसका भुगतान 30 सितंबर तक कर देगी। लेकिन NCLT के आदेश के बावजूद आरकॉम ने तय राशि एरिक्सन को नहीं दी।
इसके बाद एरिक्सन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 23 अक्टूबर को आरकॉम से कहा था कि वह 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान करे और ऐसा नहीं करने पर उसे 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज भी देना होगा। लेकिन इसके बावजूद रिलायंस ने बकाया नहीं चुकाया।
ऐसे में एरिक्सन ने कोर्ट से कहा कि रिलायंस समूह के पास राफेल जेट डील में निवेश करने के लिए पैसा है लेकिन वह उनका 550 करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुका रही। एरिक्सन ने कोर्ट से अवमानना का मुकदमा चलाने की अपील की। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रिलायंस समूह को दोषी पाया है।