व्हाट्सएप ने पुख्ता दावा किया कि इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके भारत के कई पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई। ये जासूसी लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान मई में हुई थी। भारत के नागरिकों की जासूसी करने की इतनी गंभीर खबर सामने आने के बाद आम लोगों से लेकर खास लोगों ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है।

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने व्हाट्सएप डेटा चोरी करने पर कहा है कि, “ED, CBI इनकम टैक्स के बाद लोकतंत्र और विपक्ष को ख़त्म करने के लिए सरकार का नया हथियार फोन टैपिंग डेटा चोरी और जासूसी हो गया है।”

 

व्हाट्सएप का आरोप है कि इजरायली कंपनी एनएसओ ने फेसबुक के स्वामित्व वाली मैसेंजिंग प्लेटफॉर्म सर्विस के माध्यम से पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी की है। एनएसओ पर स्पाईवेयर पेगासस के ज़रिए करीब 1,400 यूजर्स के निजी डाटा को चुराने का आरोप है। व्हाट्सएप ने हैकिंग की पुष्टि करते हुए इजरायली जासूसी कंपनी के खिलाफ़ मुकदमा भी दर्ज करा दिया है।

बता दें कि पेगासस को एनएसओ ने सरकारों के लिए बनाया है। इसका इस्तेमाल कोई आम आदमी नहीं कर सकता। ऐसे में ये बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि इसे भारतीय पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी करने के लिए किसने इस्तेमाल किया? सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी मई के महीने में की गई, जिस वक्त भारत में लोकसभा चुनाव हो रहे थे।

जानकारी के मुताबिक, भारत में करीब दो दर्जन वकील, प्रोफेसर, दलित कार्यकर्ता और पत्रकारों से व्हाट्सएप ने संपर्क किया था और उन्हें जानकारी दी थी कि मई में दो हफ्ते तक उनके फोन अत्याधुनिक सर्विलांस में थे।

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