
एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार बिरसा मुंड के जन्मदिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मना रही है।
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार आदिवासी महानायक टंट्या भील के नाम पर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड का नाम रख उन्हें श्रद्धांजलि दे रही है।
वहीं दूसरी तरफ रीवा जिले में एक आदिवासी लड़के को मोटरसाइकिल पर बिरसा मुंडा का स्टीकर लगाने की वजह से पीटा जा रहा है।
घटना 16 नवंबर की बताई जा रही है। जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर रामबाग में दीपक कुमार कोल पर चार लोगों ने उस वक्त हमला किया जब वो किराने का सामान खरीद रहे थे।
शिकायत के मुताबिक, ये हमला मोटरसाइकिल पर बिरसा मुंडा का स्टीकर लगाने की वजह से किया गया।
मीडिया से बात करते हुए दीपक ने बताया कि अन्य आदिवासी लोगों ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों ने उन्हें भी पीटा।
पुलिस के मुताबिक एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। लेकिन दीपक का कहना है हमलावर आज भी धमकी दे रहे हैं।
ऐसा क्यों हो रहा है कि एक तरफ राज्य की भाजपा सरकार आदिवासियों के गौरव की बात कर रही है, उनके महानायकों के सम्मान में कार्यक्रम कर रही है। लेकिन जमीन पर आदिवासी लगातार भेदभाव का शिकार हो रहे हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदायों का भाजपा से भरोसा उठ गया है। इसका असर चुनाव दर चुनाव आकड़ों में भी दिखने लगा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में आदिवासियों की जनसंख्या लगभग 1.65 करोड़ हैं। विधानसभा की कुल 230 में 47 सीटें आदिवासियों के लिये आरक्षित हैं।
इसके अलावा 84 ऐसी सीटें भी हैं, जहां आदिवासी मतदाता जीत-हार का फैसला करते हैं।
भाजपा को चुनाव दर चुनाव आदिवासी सीटों पर नुकसान हो रहा है। 2008 में 47 आदिवासी सीटों में से 29 पर भाजपा को जीत मिली थी। 2018 में ये संख्या घटकर 16 रह गई।
ऐसे में मंच से आदिवासी गौरव की बात करना भाजपा के लिए मजबूरी हो गई है।