एक माफिया है, जो पूर्व विधायक और पूर्व सांसद भी है। इसकी लखनऊ पुलिस को तलाश है। माफिया का नाम है- धनंजय सिंह। पुलिस ने इसे हत्या के मामले में भगोड़ा घोषित कर रखा है। 25 हजार का इनाम भी रखा है।

सोच कर देखिए जिस अपराधी के पीछे देश के सबसे बड़े राज्य की राजधानी की पुलिस पड़ी होगी वो कितने खौफ में जी रहा होगा। कितना परेशान रहता होगा।

ऐसे में चिंता-परेशानी से उबरने के लिए स्पोर्ट्स से बढ़िया क्या हो सकता है। तो पुलिस से भागते-भागते परेशान हो चुके इस माफिया को जौनपुर में क्रिकेट खेलते देखा गया है।

जो माफिया लखनऊ पुलिस के लिए मिस्टर इंडिया बना हुआ है, वो लखनऊ से मात्र 4 घंटे की दूरी पर पूरे लाव-लश्कर के साथ क्रिकेट का लुफ्त उठा रहा है। सैर कर रहा है। टूर्नामेंट का उद्घाटन कर रहा है।

जी हाँ, जिस माफिया को पुलिस अपने तमाम संसाधन, नेटवर्क और गुप्तचरों का इस्तेमाल कर नहीं ढूंढ पा रही है। उसे टूर्नामेंट के आयोजक अपना मुख्य अतिथि बनाने के लिए ढूंढ ले रहे हैं। यही बाजारू लोकतंत्र की लीला है। यही सत्ता का स्वांग है।

विपक्ष के नेता अखिलेश यादव क्रिकेट खेलते धनंजय सिंह का वीडियो शेयर कर सत्ता द्वारा संरक्षण दिए जाने का आरोप लगा रहे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा है, ”भाजपा का काम- अपराधी सरेआम! बाबा जी अपने करीबी नालबद्ध माफ़ियाओं के टॉप टेन की सूची बनाकर एक टीम बना लें और आईपीएल की तरह एक ‘MBL’ मतलब ‘माफिया भाजपा लीग’ शुरू कर दें। शहर के पुलिस कप्तान तो उनके लिए पिच बिछाए बैठे ही हैं और टीम कप्तान वो ख़ुद हैं ही। हो गए पूरे ग्यारह।”

भाजपा के ट्रैक रिकॉर्ड पर नज़र डाले तो सपा का सुझाव सही मालूम पड़ता है। फिलहाल भाजपा के 37% विधायकों का क्रिमिनल रिकॉर्ड है। अपहरण, चोरी, दंगा और महिला अपराध के मामले में योगी सरकार सपा और बसपा की सरकार को पीछे छोड़ चुकी है।

May be an image of 1 person and text that says 'दैनिक मास्कर भाजपा सरकार (2017-अब तक) कुल दर्ज मामले 3.4 लाख अपहरण 17.5 हजार चोरी 50 हजार महिला अपराध 56 हजार दंगे नोट: NCRB के आंकड़े हर साल दर्ज मामले (औसत में), भाजपा सरकार के यह 4 साल तक के आंकड़े हैं| 7.3 हजार'खैर, लौट आते हैं 25 हज़ार के इनामी माफिया धनंजय सिंह पर। सवाल उठता है कि अगर इस माफिया को सत्ता का संरक्षण प्राप्त नहीं तो डबल इंजन की सरकार के बुलडोजर इसका पता क्यों नहीं ढूंढ पा रहे हैं? जिस माफिया को लखनऊ पुलिस ने भगोड़ा घोषित कर रखा वो जौनपुर में खुलेआम घूमते कैसे पाया जाता है? आखिर क्या वजह है कि ये माफिया क्रिकेट टूर्नामेंट के आयोजकों को तो मिल जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश की पुलिस को नहीं मिल पाता है? अब तो संदेह होने लगा है कि लखनऊ पुलिस ने इसे भगोड़ा घोषित कर रहा है… या खुद भगा रखा है?

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