उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप का शिकार युवती के दम तोड़ने पर देश भर में फैला आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा है। जहां एक ओर संवेदनहीनता के लिए सरकार पर हमला बोला जा रहा है वहीं दूसरी ओर उन तमाम संगठनों पर भी सवाल उठ रहे हैं जो जातीय गुरुर बनाए रखने के लिए पीड़ित पक्ष को धमका रहे हैं।

शुरू से आरोप लग रहे हैं कि दलित युवती के साथ हुई क्रूरता की इस घटना में निष्पक्ष कार्यवाही नहीं हो रही है क्योंकि अपराध को अंजाम देने वाले न सिर्फ कथित ऊंची जाति के हैं बल्कि योगी आदित्यनाथ के सजातीय हैं।

इन आरोपों की पुष्टि इस बात से भी हो जा रही है कि आरोपियों के पक्ष में लगातार पंचायतें हो रही हैं, पीड़ित परिवार को खुलेआम धमकी दी जा रही है मगर पुलिस प्रशासन उनपर न लाठीचार्ज कर रही है न उन्हें जेल में डाल रही है।

ये सब उसी उत्तर प्रदेश में हो रहा है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आते हैं और लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दलितों का पैर धुलकर जाते हैं।

ये सब उस समुदाय के पीड़ित परिवार के साथ हो रहा है जो देश में सबसे ज्यादा सफाईकर्मी का काम करते हैं।

अभी इसी साल तेजी से फैल रही कोरोना महामारी के दौरान जिन सफाई कर्मचारियों को कोरोना वॉरियर्स कहके हौसला बढ़ाने की बात कही जा रही थी अब उन्हीं पर जातिवादी हमला हुआ है तो योगी-मोदी ने चुप्पी साध ली है।

बीजेपी सरकार के इसी दलित विरोधी रवैए से नाराज होते हुए अंबेडकरवादी बुद्धिजीवी राहुल सोनपिंपल लिखते हैं- ‘जब अपनी जान बचाने की बारी आती है तो वाल्मीकि समुदाय को कोरोना वारियर्स बता देते हो, मगर जब उनकी जान बचाने की बारी आती है तब चुप्पी साधकर मूकदर्शक बने रहते हो। आप सरकार हो या सवर्ण बचाओ मोर्चा?’

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर चुके राहुल सोनपिंपल अपनी तीक्ष्ण अंबेडकरवादी विचार के लिए जाने जाते हैं। इससे पहले भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने लिखा था-

‘सरकार पर विश्वास रखें
सरकार न्याय करेगी
पहले सरकार सभी सबूतों को नष्ट कर देगी
और बाद में पीड़ितों को ही
अपराधियों में बदल देगी
सभी ठाकुरों को रिहा कर देगी
कुछ दिनों बाद हिन्दू बनाम मुसलमान करेगी
और वाल्मीकियों को दलित से
एक बार फिर हिन्दू बना देगी’ #HathrasHorror

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