हाल ही में दुनिया से फानी हुए पत्रकार कमाल आर खान ने एक बार कहा था, उत्तर प्रदेश की राजनीति ने इतने रंग देखे हैं जितने किसी रंगसाज़ ने भी न देखे होंगे। दसेक बरस पहले कही कमाल की ये पंक्ति आज भी कितनी प्रासंगिक है। जब से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ है, तब से यहां कि राजानीति के कितने नगीनों ने अंगूठियाँ बदल दी इसका हिसाब अब जटिल होता जा रहा है।

कुख्यात से कुख्यात और विख्यात से विख्यात नेताओं में भागम-भाग मची है। ऐसे ही एक कुख्यात अमित जानी ने अभी हाल में कांग्रेस का हाथ थामा है। आपराधिक पृष्ठभूमि के अमित जानी मेरठ के रहने वाले हैं। माफिया हैं। इस प्रोफाइल के साथ दर्जनों आपराधिक मामलो में नाम रहना भी लाजमी है। जेल की भी सैर करते रहते हैं।

शुक्रवार (14 जनवरी) को दिल्ली में कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम ने अमित जानी को पार्टी में शामिल कराया। अटकलें है कि टिकट भी पा सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमित जानी मेरठ की सिवलखास विधानसभा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

May be an image of 5 people and people standingसवाल उठता है कि महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने दुर्दांत आपराधियों की श्रेणी के इस व्यक्ति को पार्टी में क्यों शामिल किया है? क्या कांग्रेस आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रतिनिधियों के भरोसे महिलाओं की सुरक्षा सौंपना चाहती है?

बता दें कि अमित जानी तो सबसे पहले चर्चा मे ही एक महिला का अपमान करने की वजह से आए थे। जी हाँ, साल 2012 में अमित जानी ने अंबेडकर पार्क में स्थापित सफेद रंग की मायावती की मूर्ति को हथौड़ा मारकर तोड़ दिया था। तब अमित यूपी नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष और सपा के करीबी हुआ करते थे।

मयावती की मूर्ति को तोड़ने की घटना अमित जानी को महिला और दलित विरोधी साबित करने के लिए काफी है। बावजूद इसके कांग्रेस ने अमित जानी को अपनी पार्टी में शामिल किया है।

कांग्रेस पिछले कुछ समय से हिन्दू बनाम हिन्दुत्व की चर्चा भी छेड़े हुए है। कांग्रेस का कहना है कि गांधी के विचारों को मानने वाले हिन्दू हैं और गांधी की हत्या का जश्न मनाने वाले हिन्दुत्ववादी। बता दें कि कांग्रेस ने जिस अमित जानी को पार्टी का गमछा पहना है वो गांधी की हत्या का जश्न मानने वाले यति नरसिंहानंद का शिष्य है।

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लाल घेरे में अमित जानी

अपने गुरू यति नरसिंहानंद की तरह ही अमित जानी का भी सपना है कि योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री बनें। इसके लिए अमित जानी सोशल मीडिया पर #YOGI4PM का कैम्पेन भी चलाया था।

इसके अलावा अमित जानी ने 2016 में कन्हैया कुमार को भी गोली मारने की धमकी दी थी। दिलचस्प यह है कि अब कन्हैया कुमार भी कांग्रेस में ही हैं। मायावती की मूर्ति तोड़ने से पहले अमित जानी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को काला झंडा भी दिखा चुके हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस में शामिल होने से पहले अमित जानी शिवपाल यादव की पार्टी की युवा इकाई के अध्यक्ष थे।

अपडेट-

सब तरफ से फजीहत होने पर आज 2 दिन बाद कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई ने इस मामले पर अपना स्पष्टीकरण दिया है। फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के को-फाउंडर मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए यूपी कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा है, “कांग्रेस पार्टी अपनी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध है। किसी भी उन्मादी, अतिवादी एवं कट्टरपंथी तत्व की कांग्रेस में कोई जगह नहीं है। ऐसे किसी भी व्यक्ति को कांग्रेस में सदस्यता नहीं दिलाई गई है। यदि कोई भी इस चाल-चरित्र का व्यक्ति ऐसा दावा कर रहा है, वह सिर्फ भ्रमित कर रहा है।”

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